चित्रकोट वाटरफॉल से लौटकर
खेतों में काम करते किसान, लहलहाती धान की फसल, पशुओं को चराते चरवाहे और सडक़ किनारे खड़े हरे-भरे वृक्ष के नजारे लेते हुए हमलोग चित्रकोट वॉटरफॉल की ओर बढ़ रहे थे। रायपुर से 333 किलोमीटर और जगदलपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चित्रकोट वाटरफॉल। मन में उत्सुकता लिए और वाटरफॉल के विचारों में खोया मैं सफर का आनंद ले रहा था। इस दौरान रास्ते में पडऩे वाले कई जगहों की जानकारी मेरे साथ सफर कर रहे मेरे रिश्तेदार(नंदकुमार जी) द्वारा मुझे मिलती जा रही थी। जो उस समय मेरे रिश्तेदार कम गाइड की भूमिका ज्यादा निभा रहे थे। जगदलपुर से करीब एक घंटे के सफर के बाद हमें हमारी मंजिल दिखने लगी। नदी की धारा सी बहने वाली ये नदी आगे जाकर विशाल चट्टानों के बीच से बेहद तेज आवाज के साथ बहुत नीचे गिरती है। वाटरफॉल का ये नजारा जहां मन को रोमांचित कर रहा था वहीं भीतर एक डर भी पैदा करता है। वाटरफॉल के पास ही एक बुजुर्ग महिला लडक़ी से बनी मछली को पानी से धो कर साफ कर रही है, जिसे वह वहां आने वाले पर्यटकों को बेचेगी। यह उसकी कलाकारी हमें भी बहुत लुभा रही थी। चट्टानों के बीच से नीचे गिरता पानी ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी बड़ी खाई में गिर रहा हो। वाटरफॉल के ऊपर से नीचे देखने पर वहां स्थित लोग और पानी की धाराओं में चलती नावें बहुत छोटी नजर आ रही थी, जो वाटरफॉल के करीब से आकर वापस लौटी रहीं थी। हमने भी नीचे जाने का फैसला किया। इससे पहले हमने ऊपरी वाटरफॉल के बहुत से नजारों को अपने कैमरे में कैद किया। फिर हम बढ़ चले सरकारी गेस्ट हाऊस की ओर जो वाटरफॉल के ठीक सामने की तरफ बनी हुई है। गेस्ट हाऊस के ठीक बगल से नीचे उतरने के लिए सीढिय़ां बनी हुई हैं। ये सीढिय़ां इतनी खड़ी हैं कि हमें उतरने के दौरान ही थकान होने लगी। नीचे पहुंच हम वाटरफॉल की ओर बढ़ें जहां वाटरफॉल से उड़ती पानी की बौछारें हमें काफी ठंडक पहुंचा रही थी जो वहां तेज धूप में भी हमें एसी जैसी ठंडक फील करा रही थी। वाटरफॉल के ऊपर हमें काफी गर्मी लग रही थी मगर नीचे पहुंचने पर एसी जैसी ठंडक पाकर हमारा एनर्जी लेवल काफी बढ़ गया। वहां पहुंच हमने बोट की सवारी करने का फैसला किया। हमने दो टिकट लिए और बोट में सवार हो गए। 2 बोट चालक सहित 8 लोगों के बैठने की सुविधा वाला यह बोट लोगों के भरने के बाद वाटरफॉल की तरफ बढऩे लगा। पानी की लहरे बहुत तेज थी। जैसे जैसे हमारी बोट वाटरफॉल के करीब जा रही थी लहरों के तेज होने के कारण बोट बहुत हिलोरे खा रही थी, जिससे बोट में बैठे हम सभी को बहुत डर लग रहा था। डर को छुपाने के लिए हम सभी तेज तेज चिल्लाने लगे। वाटरफॉल के करीब पहुंचने के दौरान हम सभी वहां उड़ती पानी की बौछारों से करीब करीब भीग गए। इस दौरान मैंने अपने कैमरे से वहां की बहुत सारी फोटो क्लिक की और बहुत एंज्वॉय किया। इस सफर से मैं चित्रकोट वाटरफॉल की कई यादों को लेकर वापस लौटा जो आज भी मुझे वहां की रोमांचक याद दिलाती रहती है।
चित्रकोट वाटरफॉल की विशेषताएं
29 मीटर(95 फीट) की सीधी ऊंचाई से गिरने वाला यह वाटरफॉल पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। चट्टानों के बीच से गिरती पानी की विशाल धारा और उससे निकलती तेज आवाजें निकलती है जो यहां पहुंचे पर्यटकों को रोमांचित कर देती हैं। कुछ दूरी में फैले इस वाटरफॉल से जल की कई धाराएं चट्टानों के बीच से कई फीट नीचे सीधी गिरती है। जो बहुत ही आकर्षक लगती हैं। बरसात को छोडक़र और दिनों में वाटरफॉल से गिरता पानी एकदम सफेद होता है जो कि बरसात में पूरी तरह से भूरा हो जाता है। बरसात में यहां का नजारा सबसे ज्यादा रोमांचक और खतरनाक होता है। पर्यटकों के लिए यह सालों भर खुला रहने वाला यह पर्यटन स्थल बहुत शानदार है। आपको जब भी मौका मिले यहां जरूर आएं।
वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल से गिरते पानी की शक्ति बहुत अधिक है। इस गिरते पानी ने कई वैज्ञानिकों विशेषज्ञों और यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस शक्ति का उपयोग मानव भलाई के काम में करना चाहते हैं। वे इसे बिजली बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानते हैं। यह वाटरफॉल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह सालों भर बिना किसी अवरोध के बहता रहता है।
बेबस करती है वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल की शक्ति जो वैज्ञानिकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है वही शक्ति वैज्ञानिकों को बेबस भी करती है। सालों भर बहने वाली इस वाटरफॉल की सबसे बड़ी चुनौती इसकी एक समान न बहने वाली जलधारा है। गर्मी के दिनों में भी इस वाटरफॉल में इतनी शक्ति होती है कि यह एक साथ कई टार्बाइन को आसानी से घुमा दे, जिससे काफी मात्र में बिजली बनाई जा सकेगी। मगर वहीं दूसरी तरफ बरसात में इस वाटरफॉल की शक्ति इतनी बढ़ जाती है, जिसके आगे किसी भी टार्बाइन का टिके रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। है। इस परीपेक्ष्य में इसके मानव उपयोग में लाने की बात पर संशय बरकरार है।
खेतों में काम करते किसान, लहलहाती धान की फसल, पशुओं को चराते चरवाहे और सडक़ किनारे खड़े हरे-भरे वृक्ष के नजारे लेते हुए हमलोग चित्रकोट वॉटरफॉल की ओर बढ़ रहे थे। रायपुर से 333 किलोमीटर और जगदलपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चित्रकोट वाटरफॉल। मन में उत्सुकता लिए और वाटरफॉल के विचारों में खोया मैं सफर का आनंद ले रहा था। इस दौरान रास्ते में पडऩे वाले कई जगहों की जानकारी मेरे साथ सफर कर रहे मेरे रिश्तेदार(नंदकुमार जी) द्वारा मुझे मिलती जा रही थी। जो उस समय मेरे रिश्तेदार कम गाइड की भूमिका ज्यादा निभा रहे थे। जगदलपुर से करीब एक घंटे के सफर के बाद हमें हमारी मंजिल दिखने लगी। नदी की धारा सी बहने वाली ये नदी आगे जाकर विशाल चट्टानों के बीच से बेहद तेज आवाज के साथ बहुत नीचे गिरती है। वाटरफॉल का ये नजारा जहां मन को रोमांचित कर रहा था वहीं भीतर एक डर भी पैदा करता है। वाटरफॉल के पास ही एक बुजुर्ग महिला लडक़ी से बनी मछली को पानी से धो कर साफ कर रही है, जिसे वह वहां आने वाले पर्यटकों को बेचेगी। यह उसकी कलाकारी हमें भी बहुत लुभा रही थी। चट्टानों के बीच से नीचे गिरता पानी ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी बड़ी खाई में गिर रहा हो। वाटरफॉल के ऊपर से नीचे देखने पर वहां स्थित लोग और पानी की धाराओं में चलती नावें बहुत छोटी नजर आ रही थी, जो वाटरफॉल के करीब से आकर वापस लौटी रहीं थी। हमने भी नीचे जाने का फैसला किया। इससे पहले हमने ऊपरी वाटरफॉल के बहुत से नजारों को अपने कैमरे में कैद किया। फिर हम बढ़ चले सरकारी गेस्ट हाऊस की ओर जो वाटरफॉल के ठीक सामने की तरफ बनी हुई है। गेस्ट हाऊस के ठीक बगल से नीचे उतरने के लिए सीढिय़ां बनी हुई हैं। ये सीढिय़ां इतनी खड़ी हैं कि हमें उतरने के दौरान ही थकान होने लगी। नीचे पहुंच हम वाटरफॉल की ओर बढ़ें जहां वाटरफॉल से उड़ती पानी की बौछारें हमें काफी ठंडक पहुंचा रही थी जो वहां तेज धूप में भी हमें एसी जैसी ठंडक फील करा रही थी। वाटरफॉल के ऊपर हमें काफी गर्मी लग रही थी मगर नीचे पहुंचने पर एसी जैसी ठंडक पाकर हमारा एनर्जी लेवल काफी बढ़ गया। वहां पहुंच हमने बोट की सवारी करने का फैसला किया। हमने दो टिकट लिए और बोट में सवार हो गए। 2 बोट चालक सहित 8 लोगों के बैठने की सुविधा वाला यह बोट लोगों के भरने के बाद वाटरफॉल की तरफ बढऩे लगा। पानी की लहरे बहुत तेज थी। जैसे जैसे हमारी बोट वाटरफॉल के करीब जा रही थी लहरों के तेज होने के कारण बोट बहुत हिलोरे खा रही थी, जिससे बोट में बैठे हम सभी को बहुत डर लग रहा था। डर को छुपाने के लिए हम सभी तेज तेज चिल्लाने लगे। वाटरफॉल के करीब पहुंचने के दौरान हम सभी वहां उड़ती पानी की बौछारों से करीब करीब भीग गए। इस दौरान मैंने अपने कैमरे से वहां की बहुत सारी फोटो क्लिक की और बहुत एंज्वॉय किया। इस सफर से मैं चित्रकोट वाटरफॉल की कई यादों को लेकर वापस लौटा जो आज भी मुझे वहां की रोमांचक याद दिलाती रहती है।
चित्रकोट वाटरफॉल की विशेषताएं
29 मीटर(95 फीट) की सीधी ऊंचाई से गिरने वाला यह वाटरफॉल पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। चट्टानों के बीच से गिरती पानी की विशाल धारा और उससे निकलती तेज आवाजें निकलती है जो यहां पहुंचे पर्यटकों को रोमांचित कर देती हैं। कुछ दूरी में फैले इस वाटरफॉल से जल की कई धाराएं चट्टानों के बीच से कई फीट नीचे सीधी गिरती है। जो बहुत ही आकर्षक लगती हैं। बरसात को छोडक़र और दिनों में वाटरफॉल से गिरता पानी एकदम सफेद होता है जो कि बरसात में पूरी तरह से भूरा हो जाता है। बरसात में यहां का नजारा सबसे ज्यादा रोमांचक और खतरनाक होता है। पर्यटकों के लिए यह सालों भर खुला रहने वाला यह पर्यटन स्थल बहुत शानदार है। आपको जब भी मौका मिले यहां जरूर आएं।
वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल से गिरते पानी की शक्ति बहुत अधिक है। इस गिरते पानी ने कई वैज्ञानिकों विशेषज्ञों और यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस शक्ति का उपयोग मानव भलाई के काम में करना चाहते हैं। वे इसे बिजली बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानते हैं। यह वाटरफॉल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह सालों भर बिना किसी अवरोध के बहता रहता है।
बेबस करती है वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल की शक्ति जो वैज्ञानिकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है वही शक्ति वैज्ञानिकों को बेबस भी करती है। सालों भर बहने वाली इस वाटरफॉल की सबसे बड़ी चुनौती इसकी एक समान न बहने वाली जलधारा है। गर्मी के दिनों में भी इस वाटरफॉल में इतनी शक्ति होती है कि यह एक साथ कई टार्बाइन को आसानी से घुमा दे, जिससे काफी मात्र में बिजली बनाई जा सकेगी। मगर वहीं दूसरी तरफ बरसात में इस वाटरफॉल की शक्ति इतनी बढ़ जाती है, जिसके आगे किसी भी टार्बाइन का टिके रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। है। इस परीपेक्ष्य में इसके मानव उपयोग में लाने की बात पर संशय बरकरार है।