Sunday, March 31, 2013

चित्रकोट वाटरफॉल से लौटकर


खेतों में काम करते किसान, लहलहाती धान की फसल, पशुओं को चराते चरवाहे और सडक़ किनारे खड़े हरे-भरे वृक्ष के नजारे लेते हुए हमलोग चित्रकोट वॉटरफॉल की ओर बढ़ रहे थे। रायपुर से 333 किलोमीटर और जगदलपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चित्रकोट वाटरफॉल। मन में उत्सुकता लिए और वाटरफॉल के विचारों में खोया मैं सफर का आनंद ले रहा था। इस दौरान रास्ते में पडऩे वाले कई जगहों की जानकारी मेरे साथ सफर कर रहे मेरे रिश्तेदार(नंदकुमार जी) द्वारा मुझे मिलती जा रही थी। जो उस समय मेरे रिश्तेदार कम गाइड की भूमिका ज्यादा निभा रहे थे। जगदलपुर से करीब एक घंटे के सफर के बाद हमें हमारी मंजिल दिखने लगी। नदी की धारा सी बहने वाली ये नदी आगे जाकर विशाल चट्टानों के बीच से बेहद तेज आवाज के साथ बहुत नीचे गिरती है। वाटरफॉल का ये नजारा जहां मन को रोमांचित कर रहा था वहीं भीतर एक डर भी पैदा करता है। वाटरफॉल के पास ही एक बुजुर्ग महिला लडक़ी से बनी मछली को पानी से धो कर साफ कर रही है, जिसे वह वहां आने वाले पर्यटकों को बेचेगी। यह उसकी कलाकारी हमें भी बहुत लुभा रही थी। चट्टानों के बीच से नीचे गिरता पानी ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी बड़ी खाई में गिर रहा हो। वाटरफॉल के ऊपर से नीचे देखने पर वहां स्थित लोग और पानी की धाराओं में चलती नावें बहुत छोटी नजर आ रही थी, जो वाटरफॉल के करीब से आकर वापस लौटी रहीं थी। हमने भी नीचे जाने का फैसला किया। इससे पहले हमने ऊपरी वाटरफॉल के बहुत से नजारों को अपने कैमरे में कैद किया। फिर हम बढ़ चले सरकारी गेस्ट हाऊस की ओर जो वाटरफॉल के ठीक सामने की तरफ बनी हुई है। गेस्ट हाऊस के ठीक बगल से नीचे उतरने के लिए सीढिय़ां बनी हुई हैं। ये सीढिय़ां इतनी खड़ी हैं कि हमें उतरने के दौरान ही थकान होने लगी। नीचे पहुंच हम वाटरफॉल की ओर बढ़ें जहां वाटरफॉल से उड़ती पानी की बौछारें हमें काफी ठंडक पहुंचा रही थी जो वहां तेज धूप में भी हमें एसी जैसी ठंडक फील करा रही थी। वाटरफॉल के ऊपर हमें काफी गर्मी लग रही थी मगर नीचे पहुंचने पर एसी जैसी ठंडक पाकर हमारा एनर्जी लेवल काफी बढ़ गया। वहां पहुंच हमने बोट की सवारी करने का फैसला किया। हमने दो टिकट लिए और बोट में सवार हो गए। 2 बोट चालक सहित 8 लोगों के बैठने की सुविधा वाला यह बोट लोगों के भरने के बाद वाटरफॉल की तरफ बढऩे लगा। पानी की लहरे बहुत तेज थी। जैसे जैसे हमारी बोट वाटरफॉल के करीब जा रही थी लहरों के तेज होने के कारण बोट बहुत हिलोरे खा रही थी, जिससे बोट में बैठे हम सभी को बहुत डर लग रहा था। डर को छुपाने के लिए हम सभी तेज तेज चिल्लाने लगे। वाटरफॉल के करीब पहुंचने के दौरान हम सभी वहां उड़ती पानी की बौछारों से करीब करीब भीग गए। इस दौरान मैंने अपने कैमरे से वहां की बहुत सारी फोटो क्लिक की और बहुत एंज्वॉय किया। इस सफर से मैं चित्रकोट वाटरफॉल की कई यादों को लेकर वापस लौटा जो आज भी मुझे वहां की रोमांचक याद दिलाती रहती है।

चित्रकोट वाटरफॉल की विशेषताएं
29 मीटर(95 फीट) की सीधी ऊंचाई से गिरने वाला यह वाटरफॉल पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। चट्टानों के बीच से गिरती पानी की विशाल धारा और उससे निकलती तेज आवाजें निकलती है जो यहां पहुंचे पर्यटकों को रोमांचित कर देती हैं। कुछ दूरी में फैले इस वाटरफॉल से जल की कई धाराएं चट्टानों के बीच से कई फीट नीचे सीधी गिरती है। जो बहुत ही आकर्षक लगती हैं। बरसात को छोडक़र और दिनों में वाटरफॉल से गिरता पानी एकदम सफेद होता है जो कि बरसात में पूरी तरह से भूरा हो जाता है। बरसात में यहां का नजारा सबसे ज्यादा रोमांचक और खतरनाक होता है। पर्यटकों के लिए यह सालों भर खुला रहने वाला यह पर्यटन स्थल बहुत शानदार है। आपको जब भी मौका मिले यहां जरूर आएं।

वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल से गिरते पानी की शक्ति बहुत अधिक है। इस गिरते पानी ने कई वैज्ञानिकों विशेषज्ञों और यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस शक्ति का उपयोग मानव भलाई के काम में करना चाहते हैं। वे इसे बिजली बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानते हैं। यह वाटरफॉल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह सालों भर बिना किसी अवरोध के बहता रहता है।

बेबस करती है वाटरफॉल की शक्ति
चित्रकोट वाटरफॉल की शक्ति जो वैज्ञानिकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है वही शक्ति वैज्ञानिकों को बेबस भी करती है। सालों भर बहने वाली इस वाटरफॉल की सबसे बड़ी चुनौती इसकी एक समान न बहने वाली जलधारा है। गर्मी के दिनों में भी इस वाटरफॉल में इतनी शक्ति होती है कि यह एक साथ कई टार्बाइन को आसानी से घुमा दे, जिससे काफी मात्र में बिजली बनाई जा सकेगी। मगर वहीं दूसरी तरफ बरसात में इस वाटरफॉल की शक्ति इतनी बढ़ जाती है, जिसके आगे किसी भी टार्बाइन का टिके रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। है। इस परीपेक्ष्य में इसके मानव उपयोग में लाने की बात पर संशय बरकरार है।

Sunday, March 17, 2013


भीख नहीं, हक मांग रहे: नीतीश

नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) द्वारा आयोजित अधिकार रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाखों बिहारियों के बीच बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को भीख नहीं अपना हक बताया। उन्होंने इसमें उन राज्यों को भी शामिल किया जो बिहार की तरह पिछड़े हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री की तारीफ भी की, जिन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले में पहल की है। नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भी यह साफ कर दिया कि वही व्यक्ति दिल्ली की गद्दी पर बैठेगा जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ पिछड़े हुए राज्यों के लिए काम करेगा। उन्होंने इंडिया और भारत के बीच की खाई को पाटते हुए एक हिंदुस्तान बनाने की बात कही।

इस दौरान उन्होंने कहा कि जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है उनसे बिहार की संरचना नहीं मिलती। बिहार पहाड़ी राज्यों में नहीं आता मगर पहाड़ों से निकलने वाली नदियां ही बिहार में हर साल बाढ़ लाकर भारी तबाही मचाती है जिससे कि करोड़ों की क्षति होती है। बिहार में जनसंख्या का घनत्व कम ना होकर कहीं ज्यादा है। बिहार की जनसंख्या करीब 10.30 करोड़ है। उन्होंने केंद्र से विशेष राज्य के लिए बने मापदंडों में परिवर्तन लाने की बात कहीं। ताकि बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को विकास की श्रेणी में आगे बढ़ाया जा सके।

नीतीश कुमार ने कहा कि पहली बार बिहारियों ने दिल्ली में अपनी ताकत दिखाई है। इसे दिल्ली में बैठे हुए लोग हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये तो अभी अंगड़ाई है, लड़ाई तो अभी बाकी है। उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि एक दिन वह भी था जब बिहार द्वारा ही देश का शासन चलाया जाता है। आज की नीतियों का ही नतीजा है जो बिहार इतना पिछड़ गया है। आखिर बिहारियों की इसमें क्या गलती है। वो अगर बिहार से बहार रोजी-रोटी कमाते हैं तो ये उनकी मजबूरी है। वे जहां भी जाते हैं अपनी मेहनत और हुनर के दम पर आपने को साबित करते हैं।

नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को बिहार के लिए विशेष रूप से सोचने के लिए कहा, इसमें उन्होंने अन्य राज्यों को भी शामिल किया जो बिहार की तरह पिछड़े हैं। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के सामने कई तर्क दिए। जैसे- बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत आय से बहुत कम है। विकास के लिए प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से आधा है। मानवीय विकास सूचकांक में भी बिहार काफी पीछे है। बिजली, सडक़, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी बिहार बहुत पिछड़ा है।

रामलीला मैदान में जुटे बिहारियों का उन्होंने तहेदिल से धन्यवाद दिया जो जाति, मजहब और धर्म से ऊपर उठकर रैली में भाग लेने दिल्ली पहुंचे। बिहार के लोगों को इंसाफ दिलाने की बात करने वाले नीतीश ने इस लड़ाई को तब तक जारी रखने की बात की जब तक कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता।


दिखाए काले झंडे
मंच पर 12.05 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे। उनके कुछ देर बार ही जदयू के अध्यक्ष शरद यादव भी मंच पर आ गए। मंच पर दोनों दिग्गजों के पहुंचे के तुरंत बाद मंच से कुछ दूरी पर खड़े शख्स ने अपने पॉकेट से काले झंडे को निकाल कर लहराने लगा। इस दौरान आस पास के रैली समर्थकों ने उस शख्स की पिटाई कर दी। इस घटना से वहां की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए। मगर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उस शख्स को पकड़ कर मंच के पीछे के रास्ते से उसे बाहर ले गई।


दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित इस महारैली को सफल बनाने के लिए जदयू कार्यकर्ता पटना में 4 नवंबर 2012 को आयोजित रैली के बाद से ही जोर-शोर से लग गए थे। आज इसी का नतीजा रहा कि लाखों की संख्या में बिहारी विशेष राज्य की मांग के समर्थन में दिल्ली के रामलीला मैदान में इक्ट्ठा हुए। इस महारैली से उन्होंने केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि 2014 के चुनाव के बाद दिल्ली के सिंहासन पर वहीं बैठेगा जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा।