Sunday, March 17, 2013


भीख नहीं, हक मांग रहे: नीतीश

नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) द्वारा आयोजित अधिकार रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाखों बिहारियों के बीच बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को भीख नहीं अपना हक बताया। उन्होंने इसमें उन राज्यों को भी शामिल किया जो बिहार की तरह पिछड़े हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री की तारीफ भी की, जिन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले में पहल की है। नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भी यह साफ कर दिया कि वही व्यक्ति दिल्ली की गद्दी पर बैठेगा जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ पिछड़े हुए राज्यों के लिए काम करेगा। उन्होंने इंडिया और भारत के बीच की खाई को पाटते हुए एक हिंदुस्तान बनाने की बात कही।

इस दौरान उन्होंने कहा कि जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है उनसे बिहार की संरचना नहीं मिलती। बिहार पहाड़ी राज्यों में नहीं आता मगर पहाड़ों से निकलने वाली नदियां ही बिहार में हर साल बाढ़ लाकर भारी तबाही मचाती है जिससे कि करोड़ों की क्षति होती है। बिहार में जनसंख्या का घनत्व कम ना होकर कहीं ज्यादा है। बिहार की जनसंख्या करीब 10.30 करोड़ है। उन्होंने केंद्र से विशेष राज्य के लिए बने मापदंडों में परिवर्तन लाने की बात कहीं। ताकि बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को विकास की श्रेणी में आगे बढ़ाया जा सके।

नीतीश कुमार ने कहा कि पहली बार बिहारियों ने दिल्ली में अपनी ताकत दिखाई है। इसे दिल्ली में बैठे हुए लोग हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये तो अभी अंगड़ाई है, लड़ाई तो अभी बाकी है। उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि एक दिन वह भी था जब बिहार द्वारा ही देश का शासन चलाया जाता है। आज की नीतियों का ही नतीजा है जो बिहार इतना पिछड़ गया है। आखिर बिहारियों की इसमें क्या गलती है। वो अगर बिहार से बहार रोजी-रोटी कमाते हैं तो ये उनकी मजबूरी है। वे जहां भी जाते हैं अपनी मेहनत और हुनर के दम पर आपने को साबित करते हैं।

नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को बिहार के लिए विशेष रूप से सोचने के लिए कहा, इसमें उन्होंने अन्य राज्यों को भी शामिल किया जो बिहार की तरह पिछड़े हैं। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के सामने कई तर्क दिए। जैसे- बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत आय से बहुत कम है। विकास के लिए प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से आधा है। मानवीय विकास सूचकांक में भी बिहार काफी पीछे है। बिजली, सडक़, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी बिहार बहुत पिछड़ा है।

रामलीला मैदान में जुटे बिहारियों का उन्होंने तहेदिल से धन्यवाद दिया जो जाति, मजहब और धर्म से ऊपर उठकर रैली में भाग लेने दिल्ली पहुंचे। बिहार के लोगों को इंसाफ दिलाने की बात करने वाले नीतीश ने इस लड़ाई को तब तक जारी रखने की बात की जब तक कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता।


दिखाए काले झंडे
मंच पर 12.05 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे। उनके कुछ देर बार ही जदयू के अध्यक्ष शरद यादव भी मंच पर आ गए। मंच पर दोनों दिग्गजों के पहुंचे के तुरंत बाद मंच से कुछ दूरी पर खड़े शख्स ने अपने पॉकेट से काले झंडे को निकाल कर लहराने लगा। इस दौरान आस पास के रैली समर्थकों ने उस शख्स की पिटाई कर दी। इस घटना से वहां की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए। मगर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उस शख्स को पकड़ कर मंच के पीछे के रास्ते से उसे बाहर ले गई।


दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित इस महारैली को सफल बनाने के लिए जदयू कार्यकर्ता पटना में 4 नवंबर 2012 को आयोजित रैली के बाद से ही जोर-शोर से लग गए थे। आज इसी का नतीजा रहा कि लाखों की संख्या में बिहारी विशेष राज्य की मांग के समर्थन में दिल्ली के रामलीला मैदान में इक्ट्ठा हुए। इस महारैली से उन्होंने केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि 2014 के चुनाव के बाद दिल्ली के सिंहासन पर वहीं बैठेगा जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा।


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