घटनाएं और पात्र वास्तविक हैं : नौटंकी साला
कहावत है न, नाम बड़े और दर्शन छोटे। यह कहावत भी अगर फिल्म पर फिट बैठ जाती तो बेहतर होता। मगर फिल्म इस कहावत के लायक भी नहीं है।
फिल्म की घटनाएं और पात्र काल्पनिक नहीं वास्तविक है, इस लाइन ने फिल्म की
शुरुआत में दर्शकों को थोड़ा अचरज में डाल दिया, क्योंकि अभी तक तो सब कुछ
काल्पनिक ही सुनते आ रहे थे। यह बदलाव फिल्म पर ध्यान केंद्रित करने को
विवश करता है। मगर सवाल उठता है कब तक? तो कब तक का जवाब इतना बोरिंग और
बकवास है कि समय का पता करते करते आपको कहीं नींद न आ जाए।
डायरेक्टर
रोहन सिप्पी ने नौटंकी साला को इतना बोरिंग बना दिया है कि नौटंकी की
शुरुआत से अंत तक अगर आप दो चार बार हंस लिए तो समझिए की बहुत हंस लिए।
उन्होंने कुछ ज्यादा ही दिमाग का यूज किया है जो आम दर्शकों के लिए बेमतलब
है। फिल्म में कहीं कहीं दो तीन दशक पुराने सुपर हिट गानों को कुछ म्यूजिक
का तड़का लगाकर नए स्टाइल में पेश किया गया है। जो अच्छा लगता है।
फिल्म की कहानी की शुरुआत कहानी सुनाने से होती है और कहानी के खत्म होते
ही फिल्म भी खत्म हो जाती है। कहानी में कथाकार के अनुसार उसका तीन महीने
में तीन ब्रेकअप होता है, इस ब्रेकअप में उसकी प्रेमिका, एक नई प्रेमिका और
उसका बेस्ट फ्रेंड शामिल होता है। इंटरवल तक फिल्म इतना रुलाती है कि
कलाकारों के रोल को समझने में ही दर्शकों को समस्या आ जाती है। आयुष्मान
खुरान (आर पी राम परमार) फिल्म में एक ऐसे किरदार की भूमिका में हैं जिसमें
उनसे किसी का दुख देखा नहीं जाता। उन्होंने अपने काम को बेहतर अंजाम दिया
है मगर लोगों को पसंद आए कहना मुश्किल है। डेल्ही बेली में अपनी कलाकारी से
दर्शकों को लोप-पोट कर देनेवाले कुणाल राय कपूर ने इस फिल्म में बहुत सैड
रोल में नजर आए हैं। और मंदाल के रोल में उन्होंने दर्शकों को भी सैड कर
दिया है। वलन शर्मा और पूजा साल्वी अपने काम में रमी हुई दिखती हैं। फिल्म
में थोडी़ देरी के लिए बीच में अभिषेक बच्चन नजर आए हैं मगर उनका नजर आना
डायरेक्टर के लिए लक के सिवाय और कुछ नहीं है। जिसका फिल्म पर कोई असर नहीं
दिखता।
क्यों देखें: साफ-सुथरी फिल्म है, मगर इसमें दो जगह दिखे
किसिंग सीन कुछ ज्यादा ही लम्बे हैं। इस सीन को छोड़ दें तो फिल्म
पारिवारिक है। फिल्म की शुरुआत में पतली जलती लाइटों में, सड़क के ऊपर लगे
डिस्प्ले बोर्ड और सड़क किनारे लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर डिस्प्ले होते
फिल्म के कैरेक्टर नेम अन्य फिल्मों से एकदम जुदा और नया हैं, जो आपको
प्रभावित करेंगे। आज के युवा रिश्तों में गिरती पेशेंस की कमी को भी दिखाया
गया है। जो रिश्ते को बहुत जल्द किसी के कहने में बदल देते हैं।
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