लीक से हटकर है मुंबई टॉकीज
हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने पर चार डायरेक्टरों (करण जौहर, जोया अख्तर, अनुराग कश्यप और दिबाकर बनर्जी) द्वारा निर्देशित बॉम्बे टॉकीज मूवी बिजली की वह छोटी-छोटी लडिय़ां हैं, जिसके जलते ही आप उसकी ओर स्वत: खींचे चले जाते हैं। इसके चारों पार्ट को समझने में आपको थोड़ी समस्या आ सकती है। फिल्म शुरुआत में आपको थोड़ी अटपटी भी लग सकती है।
कहानी की शुरुआत डायरेक्टर करण जौहर द्वारा निर्देशित फिल्म के पहले पार्ट से होती है। जिसमें देव (रणदीप हुड्डा) और गायत्री(रानी मुखर्जी) पति-पत्नी हैं। इन दोनों के बीच एक शख्स अविनाश(साकिब सलीम) आ जाता है, जिससे गायत्री को देव की हकीकत का पता चलता है।
डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी द्वारा निर्देशित दूसरे पार्ट में पुरेंद्र (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की पारिवारिक घटना है। इसमें पुरेंद्र अपनी बीमार बेटी को खुश करने के लिए हर दिन एक फिल्मी कहानी सुनाता है। इसी बीच एक दिन शूटिंग देखते पुरेंद्र को फिल्मी में एक छोटा सा सीन करने को मिलता है। इसे करने के बाद वो घर आकर उसमें थोड़ा और मिर्च-मशाला लगाकर अपनी बेटी को सुनाता है।
डायरेक्टर जोया अख्तर द्वारा निर्देशित तीसरी कहानी में विकी(नमन जैन) एक छोटा लड़का है, जो कैटरीना का दीवाना है। लड़कियों की तरह सजकर शीला की तरह डांस करना उसकी फितरत है।
डायरेक्टर अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित चौथी कहानी में विजय(विनीत कुमार यादव) की है। जो अपने पिता की बात रखने के लिए इलाहाबाद से मुंबई अमिताभ बच्चन को मुरब्बा खिलाने आता है। इस दौरान उसे कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं तब जाकर उसे इसमें सफलता मिलती है मगर...।
एक्टिंग : रानी मुखर्जी, रणवीर शौरी, विनीत कुमार यादव, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नमन जैन, सुधीर पांडे, साकिब सलीम और सदाशिव अमरापुरकर ने अपने अपने किरदार में ऐसी जान डाली है जो एक्टिंग कम रियल ज्यादा लगती है। ऐसा लगता है कि ये किरदार नहीं, खुद भुक्तभोगी हैं।
संगीत : लग जा गले, अजीब दास्तां है ये जैसे गीत नए अंदाज में परोसे गए हैं जो आपको मदहोश कर देंगे।
क्यों देखें: कुछ नया देखना है तो बिना किसी से पूछे आप यह फिल्म देखने चले जाइए। चार डायरेक्टरों की फिल्म बॉम्बे टॉकीज एकदम लीक से हटकर है। यकीन मानिए इसे देखने के बाद आप इसकी डीवीडी अपनी लाइब्रेरी में रखना चाहेंगे। यह फिल्म आपको एक सटीक मैसेज देती है।
हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने पर चार डायरेक्टरों (करण जौहर, जोया अख्तर, अनुराग कश्यप और दिबाकर बनर्जी) द्वारा निर्देशित बॉम्बे टॉकीज मूवी बिजली की वह छोटी-छोटी लडिय़ां हैं, जिसके जलते ही आप उसकी ओर स्वत: खींचे चले जाते हैं। इसके चारों पार्ट को समझने में आपको थोड़ी समस्या आ सकती है। फिल्म शुरुआत में आपको थोड़ी अटपटी भी लग सकती है।
कहानी की शुरुआत डायरेक्टर करण जौहर द्वारा निर्देशित फिल्म के पहले पार्ट से होती है। जिसमें देव (रणदीप हुड्डा) और गायत्री(रानी मुखर्जी) पति-पत्नी हैं। इन दोनों के बीच एक शख्स अविनाश(साकिब सलीम) आ जाता है, जिससे गायत्री को देव की हकीकत का पता चलता है।
डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी द्वारा निर्देशित दूसरे पार्ट में पुरेंद्र (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की पारिवारिक घटना है। इसमें पुरेंद्र अपनी बीमार बेटी को खुश करने के लिए हर दिन एक फिल्मी कहानी सुनाता है। इसी बीच एक दिन शूटिंग देखते पुरेंद्र को फिल्मी में एक छोटा सा सीन करने को मिलता है। इसे करने के बाद वो घर आकर उसमें थोड़ा और मिर्च-मशाला लगाकर अपनी बेटी को सुनाता है।
डायरेक्टर जोया अख्तर द्वारा निर्देशित तीसरी कहानी में विकी(नमन जैन) एक छोटा लड़का है, जो कैटरीना का दीवाना है। लड़कियों की तरह सजकर शीला की तरह डांस करना उसकी फितरत है।
डायरेक्टर अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित चौथी कहानी में विजय(विनीत कुमार यादव) की है। जो अपने पिता की बात रखने के लिए इलाहाबाद से मुंबई अमिताभ बच्चन को मुरब्बा खिलाने आता है। इस दौरान उसे कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं तब जाकर उसे इसमें सफलता मिलती है मगर...।
एक्टिंग : रानी मुखर्जी, रणवीर शौरी, विनीत कुमार यादव, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नमन जैन, सुधीर पांडे, साकिब सलीम और सदाशिव अमरापुरकर ने अपने अपने किरदार में ऐसी जान डाली है जो एक्टिंग कम रियल ज्यादा लगती है। ऐसा लगता है कि ये किरदार नहीं, खुद भुक्तभोगी हैं।
संगीत : लग जा गले, अजीब दास्तां है ये जैसे गीत नए अंदाज में परोसे गए हैं जो आपको मदहोश कर देंगे।
क्यों देखें: कुछ नया देखना है तो बिना किसी से पूछे आप यह फिल्म देखने चले जाइए। चार डायरेक्टरों की फिल्म बॉम्बे टॉकीज एकदम लीक से हटकर है। यकीन मानिए इसे देखने के बाद आप इसकी डीवीडी अपनी लाइब्रेरी में रखना चाहेंगे। यह फिल्म आपको एक सटीक मैसेज देती है।
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