Thursday, July 8, 2010
कैसी लड़कियां अच्छी लगती हैं आपको?
हम लड़के अपने बारे में कुछ सोचे न सोचे मगर कौन लड़की कैसी है इस पर ध्यान जरूर देते हैं। दें भी क्यों न आखिर वो भी तो हमारी जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हमारे सोचने के नजरिए से लड़़कियां दो तरह की होती है, वो दो तरीके हैं 'अच्छी लड़की या बुरी लड़कीÓ। अब इन दोनों में अगर तुलना की जाए तो आप और हम दंग रह जाएंगे कि आज के अनुसार कौन सी लड़की अच्छी है और कौन बुरी.........अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर जो बुरी है वो बुरी है इसमें आज की क्या बात है, तो रुकिए जनाब और कुछ पढ़ कर ही फैसला कीजिए कि कौन सी लड़की बुरी है और कौन सी अच्छी। कहीं जिसे आप अच्छी समझते हैं वहीं लड़की आज के दौर में बुरी तो नहीं। ये फैसला अब आपके अपने सोच पर है। आप बताएं कि कौन सी लड़की आज के हिसाब से सही है? आपको इसके लिए बहुत से विचार मन में आ रहे हैं तो मैं आपको अच्छी और बुरी दोनों लड़कियों का कुछ ब्योरा दे रहा हूं फैसला कीजिए कौन अच्छी है।
अच्छी लड़की : अच्छी लड़की की कोई सही जानकारी तो मेरे पास नहीं है बस अपनी सोच के अनुसार आपको बता रहा हूं ये सोच आप से मिले ये जरूरी नहीं है मगर हम अधिकतर लोगों की सोच शायद इस से मिलती है। अच्छी लड़की शर्मीली होगी, कम बोलने वाली, विचारहीन, भद्र, संकोची और सहमी-सी दिखती है। उसमें आत्मविश्वास नाममात्र का नहीं होता। बोलते हुए तनिक अटकती है। सलीके से कपड़े पहनती है। छाती पर दुपट्टïा होगा। पलकें अधझुकी टाइप की। तेज आवाज में बोलना, ठहाके लगाना, उसको आता नहीं। उसके भीतर क्या है, यह तो खुदा भी नहीं जान सकता। परिवार के बड़ों की बात सौ प्रतिशत मानने वाली, इस लड़की को अपने मन की कहने की जरूरत भी नहीं महसूस होती। पढ़ाई की किताबों के अलावा, इसने कोई 'एडल्टÓ टाइप की मैग्जीन को हाथ भी नहीं लगाया होगा। इसकी कुछ हमउम्र की लड़कियों से बात भले ही हो जाती हो पर सहेलीबाजी के नाम पर यह समय नहीं बर्बाद करती। अपनी सभी बातें/जिज्ञासाएं अपनी मम्मीजी को ही बताती है। सिनेमा देखने जाती ही नहीं, जाएगी भी तो कोई पारिवारिक फिल्म, वह भी अपने परिवार के साथ। परिवार वालों के विरोध के बारे में तो वे सोच भी नहीं सकती। हम लड़के इन लड़कियों को अच्छी लड़की कहते नहीं अघाते। हमें ये इसलिए भी अच्छी लगती हैं क्यों कि ये कभी किसी चीज में विरोध नहीं करतीं। उनकों गलियों, सड़कों, बसों, कैंपस कहीं भी छेड़ा जा सकता है, फब्तियां कसी जा सकती है। इधर-उधर हाथ मारा जा सकता है। भय के मारे वे कुछ भी नहीं करेंगी। वे न तो पलट कर वार करेंगी और न ही कहीं कोई इसके खिलाफ शिकायत करेंगी। क्योंकि वो इसमें अपनी बदनामी समझती हैं। पिताजी/भाइया जहां चाहें उनको ब्याहने को स्वतंत्र होते हैं। बार-बार वे शादी वालों के सामने नुमाइश की तरह पेश किये जाने को कोई प्रतिरोध नहीं कर पाती। जिस किसी से ब्याह दी जाएं, उसी के साथ चली जाती हैं। उसका कभी विरोध नहीं करती, उसकी हां में हां मिलाते हुए, उसको अपना देवता मान लेती हैं। उसका उप-नाम तुरंत अपने साथ जोडऩे की उतावली में होती हैं। उसके खाने-पीने, उठने-बैठने को आइडियल मान लेती हैं। अपने मां-बाप को भुला कर उसके मां-बाप की सेवा में जुट जाती है। शादी के नवें महीने में ही उसकी गोद में अपनी सुहागरात की पहचान डाल देती है। वंश चलाने वाला जनने की जुगत में कई-कई गर्भपात खुशी-खुशी करवा लेती हैं। पति के आदेश पर बिना किसी चिंता के तुरंत बंध्याकरण करवा डालती हैं। करवाचौथों और सिंदूर-बिंदी से पति का मन मोहने वाली इन औरतों की हसरतें सपने पर परिवार में ही उलझते रहते हैं। इनके सपनों में भी मामी/चाची और दीदी ही आती हैं। पति की काली कमाई को उनकी कड़ी मेहनत का फल बताने वाली इन औरतों को वह सफलतम लगता है। उसकी कमियां इनकों खूबियां मान लेनी पड़ती हैं।
(हमारी नजर से ये वो लड़कियां हैं जो हमें बहुत अच्छी लगती हैं।)
बुरी लड़की : ये लड़कियां अपने मन की ज्यादा करती हैं। बिंदास होती हैं। मस्ती के साथ जीने की चाहत रखती हैं। अच्छी और सच्ची चीजों को भी सवालिया नजरों से देखती हैं। खुले आसमान में उडऩे को तैयार रहती हैं। मन की बातों को झट से जुबान पर ले आती हैं। परंपराओं को जूते की नोंक पर रखती हैं। नजरें झुका कर चलने का सवाल ही नहीं उठता, जरा उफ किया कि जमा कर देती हैं। गलत और पक्षपात बर्दाश्त करना इनके बूते की बात नहीं होती। ये पढऩे में ना भी अच्छी हो तो दोस्त ऐसे चुनती हैं, जो इनका होमवर्क पूरा कर डालते हैं और परीक्षा में नकल भी करवाते हैं। नया से नया फैशन इनको देख कर सीखा जा सकता है, छोटे कपड़ों में इनको कोई बुराई नहीं नजर आती। शरमाना-झिझकना इनके बस की बात नहीं होती। मम्मी की हिदायतों को घर से निकलते ही कचरे में फेंक देती हैं, कॉलेज बंक करके मस्ती करने, एडल्ट टाइप की फिल्में देखने में इनको आनंद आता है। स्कूली किताबों के अलावा ये सारी किताबें पढ़ लेती हैं। फैशन, मैग्जीनें घरवालों से छिपा कर रखती हैं। मोबाइल पर लड़कों का नाम सोना, मोना, गीता, रेवा के नाम से सेव करती हैं। स्कूल बैग में एकाध टी-शर्ट छिपा कर ले जाती हैं। मम्मी को बताये बिना ही हेयर-ट्रिम या फेशियल करवा डालती हैं। थोड़ी बड़ी हो जाएं तो हेयर कलरिंग भी करवा डालती है। रोटी/चावल की बजाए जंक खाती हैं। बाइक पर लांग ड्राइव में एक्स्ट्रा क्लास के बहाने निकलती हैं। करियर अपनी पसंद से चुनती हैं तो ब्वाय फ्रेंड में कोई कम्प्रोमाइज नहीं करना चाहती। आइटम-1, आइटम-2 के नाम पर दोस्तों को ट्राई करने में कोई संकोच नहीं करती। बेहतरीन कमाई ना कर सकने वाले को बीच में ही ड्राप कर सकती हैं, अपनी बेस्ट फ्रेंड के प्रेमी पर डोरे डाल सकती हैं। गर्भनिरोधक गोलियां खा कर अपने प्रेमी को मु_ïी में रखने का साहस रखती हैं। घर में झूठ बोलती हैं और मां को बरगला लेती हैं। पढ़ाकू लड़कों का मन पढ़ाई से उचटवा सकती हैं और ममाज ब्याय को अपनी दीवानगी में नशाखोर बना सकती हैं। खुद को घंटों आईने के सामने निहारने वाली ये लड़़कियां अपनी काया को लेकर काफी कांसस होती हैं। खाने या गिफ्ट लेने के लिए लड़कों को बेवकूफ बनाना इनके बायें हाथ का खेल होता है। ये जितनी शार्प होती हैं, उतनी ही मनमर्जी भी चलाती हैं। इनके जो दिल में होता है, वही जुबान पर लाती हैं। गलत का विरोध करती हैं और अपने अधिकारों को लेकर सचेत होती हैं। दिमाग के दरवाजे खुले रखती हैं लेकिन ढर्रे पर चलने में इनको दिक्कत हो सकती है। ज्यादातर मामलों में ये अपनी पसंद से शादी करती हैं। घरवालों के कहने पर की भी तो उसका बटुआ और घर की माली हालत जांचने-परखने में कोई कोताही नहीं करतीं। रि-थिंक करने में ना सकुचाने वाली ये लड़कियां ज्याद चू-चपड़ करने वाले पतिदेव को अदालत भी घसीट सकती हैं और मौका पडऩे पर इनकी मम्मी के खिलाफ भी बोलती हैं। ये मानसिक रूप से तैयार होने के बाद ही बच्चा पैदा करने को तैयार होती हैं। अपने काम और बैंक बैलेंस को लेकर सजग रहती हैं। पतिदेव के जिम्मे घर के कुछ काम रखने में इनको कोई संकोच नहीं होता। अपने सपनों पर परिवार वालों का अतिक्रमण इनकी बर्दाश्त से बाहर होता है। तमाम घरेलू जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद किटीज और शॉपिंग का जुनून नहीं त्याग सकतीं। बच्चों को डांस/स्वीमिंग/कराटे क्लासेज करवाने में तो उस्ताद होती हैं। उनके करियर और रियलिटी शोज में भागीदारी को लेकर चुस्त भी रहती हैं। आंसू टपकाती रहने के बजाए जिद करती हैं और अपना वजूद बचाए रखने की धुन में रहती हैं।
(हमारी नजर से ये वो लड़कियां हैं जो हमें बुरी अच्छी लगती हैं।)
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4 comments:
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मुझे सरल और सीधी सादी लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं। क्योंकि उनकी सादगी में ही उनकी सुंदरता और अच्छा स्वभाव छिपा होता है। ऐसी लड़कियां कभी किसी का बुरा नहीं चाहती हैं और हमेशा यही सोचती हैं कि हमारी तरह ही दूसरे में भी अच्छाई हो। ऐसी लड़कियों को जीवन साथी अच्छा और सच्चे दिल से प्यार करने वाला मिलता है। उनकी गृहस्थी अच्छी चलती है। वे अपने परिवार में सभी का आदर और सम्मान करती हैं खासकर अपनों से बढ़ों का तो विशेष रूप से और अपने से छोटो को सदा प्यार और दुलार करती है।
संजय शर्मा
नोएडा
मुझे सरल और सीधी सादी लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं। क्योंकि उनकी सादगी में ही उनकी सुंदरता और अच्छा स्वभाव छिपा होता है। ऐसी लड़कियां कभी किसी का बुरा नहीं चाहती हैं और हमेशा यही सोचती हैं कि हमारी तरह ही दूसरे में भी अच्छाई हो। ऐसी लड़कियों को जीवन साथी अच्छा और सच्चे दिल से प्यार करने वाला मिलता है। उनकी गृहस्थी अच्छी चलती है। वे अपने परिवार में सभी का आदर और सम्मान करती हैं खासकर अपनों से बढ़ों का तो विशेष रूप से और अपने से छोटो को सदा प्यार और दुलार करती है।
संजय शर्मा
नोएडा
sahab app media mye kaam kary huye yesi sonch rakye hai, esko badlo our gender per training lo
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