Friday, May 28, 2010

नक्सलियों के निशाने पर रेलवे




लोगों की आवाज को बुलंद करने का दावा करने वाले नक्सलियों ने अब आम लोगों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया है। नक्सलियों ने अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए 100 निर्दोष लोगों की जान ले ली। हालांकि अभी तक 74 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। नक्सलियों ने गुरुवार देर रात पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में झारग्राम स्टेशन के पास एक रेलवे ट्रैक को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। इससे हावड़ा से कुर्ला जा रही 2102 ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए और चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। नक्सली संगठन पुलिस संत्रास विरोधी जन समिति (पीसीपीए) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। रेलवे ने घटना के पीछ नक्सलियों का हाथ बताया है। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी हमले में माओवादियों का हाथ होने की बात कही है वहीं गृह मंत्रालय का कहना है कि इस मुद्दे पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। घटना के बाद पांच राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। इस हादसे को देखते हुए रेलवे नक्सल प्रभावित राज्यों में रात में ट्रेनों को नहीं चलाने पर विचार कर रहा है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) विवेक सहाय ने कहा कि उड़ीसा, बिहार, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में रात में ट्रेनों के नहीं चलाने के मुद्दे पर हम विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस बारे में जल्द कोई फैसला किया जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक 2102 हावड़ा- कुर्ला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस गुरुवार रात 10.55 बजे हावड़ा से रवाना हुई। ट्रेन ने गुरुवार देर रात करीब डेढ़ बजे जैसे ही खडग़पुर स्टेशन को पार किया, तभी रेलवे ट्रैक पर जोर का धमाका हुआ और ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। ट्रेन के चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से जा भिड़े। घटना में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की चार बोगी एस-3, एस-4, एस-5 और एस-6 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घटना के एक घंटे बाद राहत कार्य शुरू किया गया लेकिन तब तक कई लोगों की जानें जा चुकी थी। कई और लोग डिब्बों में फंसे हुए हैं इस वजह से मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो एस-6 डिब्बे से कुछ घायलों को गैस कटर की मदद से बाहर निकाला गया है लेकिन बाकी के तीन डिब्बों एस-3, एस-4 और एस-5 में किसी यात्री के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है। रेलवे ने इस घटना के पीछे नक्सलियों का हाथ बताया है। दक्षिण पूर्व रेलवे के जीएम एपी मिश्रा ने कहा कि रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के कारण ज्ञानेश्वर एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। उधर, पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) सुरजीतकार पुरकायस्थ ने बताया कि पीसीपीए ने दुर्घटनास्थल के पास दो पोस्टर छोड़े हैं, जिनमें उसने हमले की जिम्मेदारी ली है। पोस्टर में कहा गया है कि पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों से संयुक्त सुरक्षा बल वापस बुलाए जाने की उनकी मांग नहीं मानी गई, जिसके कारण इस हमले को अंजाम दिया गया। यह पोस्टर दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के दौरान की जा रही जांच के दौरान रेल की पटरियों के पास मिला। इस बीच, घटना के बाद रेलवे की ओर से पांच राज्यों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल में अलर्ट जारी किया गया है। इस अलर्ट के तहत इन राज्यों से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड कम रखी जाएगी और इसके साथ ही सीआरपीएफ की गश्त भी बढ़ाई जाएगी। इस ट्रेन हादसे के एक घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सका। नजदीकी स्थलों से डॉक्टरों की टीमें घटनास्थल के लिए रवाना की गई। डिब्बों में फंसे लोगों को निकालने के लिए कटर मशीनें पहुंची। राहत एवं बचाव कार्य में वायु सेना की मदद ली गई। जिस जगह पर रेल पटरी उड़ाने के कारण यह हादसा हुआ, वह वायुसेना के कलईकुंडा एयरबेस से महज 30 किलोमीटर दूर है और वायुसेना ने वहां से अपने दो हेलीकॉप्टरों चेतक और मिग 17 को राहत कार्यों में लगाया, जबकि जोरहाट एयरबेस से डाक्टरों की एक टीम परिवहन विमान एएन 32 से यहां पहुंची।
नक्सलियों द्वारा रेलवे पर हुए अब तक के हमले22 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में माओवादियों की ओर से की गई फायरिंग में टाटानगर जा रही स्टील एक्सप्रेस में एक पुलिसकर्मी सहित दो की मौत। 20 मई 2010 - बिहार के दिघवारा और पीपरा स्टेशन के बीच नक्सलियों ने तेल टैंकरों से लदी मालगाड़ी को निशाना बनाते हुए रेलवे लाइन को उड़ाया। मालगाड़ी के 14 डिब्बे पटरी से उतरे। 19 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर में झारग्राम के पास नक्सलियों ने लैंडमाइन ब्लास्ट से रेलवे ट्रैक उड़ाया। मालगाड़ी के दो ड्राइवर घायल, इंजन पूरी तरह क्षतिग्रस्त। 27 अक्टूबर 2009 - नक्सलियों ने भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को 8 घंटे तक बंधक बनाया। नवंबर 2009 - झारखंड के सिमदेगा जिले में नक्सलियों ने रेलवे ट्रैक उड़ाया। पैसेंजर ट्रेन के दो यात्रियों की मौत, 38 घायल। मई 2008 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को पांच घंटे के लिए बंधक बनाया। 22 अप्रेल 2006 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को आठ घंटे के लिए कब्जे में लिया।

Wednesday, May 26, 2010

सुपर-30 की सुपर सफलता

अपने आईआईटी छात्रों के साथ आनंद कुमार।

आईआईटी परीक्षा 2010

सुना है बिहार बहुत पिछड़ा है। बहुतों को तो यकीन है कि ऐसा ही है, मगर जनाब अब अपनी सोच को बदल लें, क्योंकि खबर पढ़कर आप चौंक जाएंगे कि ऐसा भी हुआ है...

संयुक्त प्रवेश परीक्षा द्वारा आयोजित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-जेईई) की परीक्षा में इस वर्ष भी पटना के सुपर-30 के सभी 30 छात्र उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं। यह लगातार तीसरा मौका है, जब सुपर-30 के सभी विद्यार्थी आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। गौरतलब है कि सुपर-30 पटना में शुरू किया गया एक भारतीय शिक्षा कार्यक्रम है। रामानुजम स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स के बैनर तले आनंद कुमार ने 2002 में इसकी शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से पिछड़े 30 मेधावी और प्रतिभावान उम्मीदवारों का चयन कर उन्हें आईआईटी-जेईई प्रवेश परीक्षा की नि:शुल्क तैयारी कराई जाती है। आनंद ने कहा कि सचमुच यह खुशी की बात है कि उनके संस्थान के सभी छात्र उत्तीर्ण घोषित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह छात्रों की मेहनत का ही परिणाम है कि सभी छात्र उत्तीर्ण हैं। गौरतलब है कि हाल ही में टाइम पत्रिका ने सुपर-30 का नाम एशिया के सबसे अच्छे शिक्षण संस्थान के रूप में प्रकाशित किया था। उल्लेखनीय है कि पटना में वर्ष 2003 से प्रारंभ सुपर-30 के 30 छात्रों में से पहले वर्ष 18 छात्रों ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी, जबकि 2004 में 22, 2005 में 26, 2006 और 2007 में 28 तथा 2007 में सभी 30 छात्र प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित हुए।

Tuesday, May 25, 2010

प्यार में सब असफल नहीं होते


कहते हैं कि प्यार सभी बंधनों और सीमाओं से परे है। कनाडा में शुरू हुई एक प्रेम कहानी के सुखद अंत ने एक बार फिर इसे सही साबित किया है। इस प्रेम कहानी में इंटरनेट का किरदार बेहद अहम रहा। यह कहानी कनाडाई मूल की मुस्लिम युवती नाजिया काजी और भारतीय मूल के युवक बिजोर्न सिंहल की है। इन दोनों के प्यार की सुखद परणिति से पहले तमाम ऐसी रुकावटें और दिक्कते आईं जो अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों में देखने को मिलती हैं। नाजिया और बिजोर्न के बीच कनाडा में पढ़ाई के दौरान प्यार परवान चढ़ा लेकिन जल्द ही इनके प्यार को मानो किसी की नजर लग गई। नाजिया के वालिद काजी मलिक अब्दुल गफ्फार अपनी बेटी के प्यार के रास्ते में आ गए और उसे पूरे तीन साल तक घर में 'बंधकÓ बनाकर रखा। गफ्फार सऊदी अरब में कार्यरत हैं इसलिए वहां के कानून की मदद से भी वह अपनी बेटी पर बंदिश लगाने में कामयाब रहे। परंतु नाजिया ने इंटरनेट के जरिए अपनी मदद की गुहार लगाई और कनाडा में उसके दोस्तों ने भी उसके समर्थन में अभियान छेड़ दिया। नाजिया के जज्बे और दोस्तों के साथ से उसकी दिक्कतों को मीडिया ने प्रमुखता दी और देखते ही देखते यह प्रेम कहानी कनाडा और सऊदी अरब के अखबारों में छा गई। इसके बाद मानवाधिकार संगठन भी उसके समर्थन में आगे आए। बिजोर्न और नाजिया की सबसे बड़ी जीत उस समय हुई जब इस साल के शुरुआत में दोनों परिवार शादी के लिए राजी हो गए और पिछले सप्ताह यह प्रेमी जोड़ा दुबई में विवाह के पवित्र बंधन में बंध गया। शादी के बाद 24 साल की नाजिया ने कहा, 'अब मैं अपने पिता को माफ कर चुकी हूं। वह मुझे खुश देखना चाहते हैं। मेरे माता-पिता मुझे घर बसाते देखना चाहते थे। आज सभी खुश हैं।Ó उधर, 29 साल के बिजोर्न का कहना है कि अब वह अपने ससुर के साथ सुलह करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नाजिया से शादी करने के बाद उन्हें बहुत राहत मिली है।

Sunday, May 23, 2010

पसीना आना जरूरी, नहीं तो...

दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में इन दिनों बढ़ रहे पारे और गर्मी से हीट स्ट्रोक की समस्या भी बढ़ रही है। गर्मी में लंबे समय तक मेहनत वाले काम करने वाले, बुजुर्ग और बीमार हीट स्ट्रोक के शिकार जल्दी होते हैं। अगर इस पर समय पर ध्यान न देने पर लोग 72 घंटे में जान गंवा सकते हैं। उपचार में देरी से मृत्यु की संभावना 80 फीसदी तक बढ़ सकती है। हीट स्ट्रोक की स्थिति तब होती है, जब तापमान 41 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो और पसीना न आए। हीट स्ट्रोक को धूप से थकान समझने की भूल कदापि न करें। हीट स्ट्रोक के दौरान मरीज को पसीना नहीं आता है। हीट स्ट्रोक में ऐंटी फीवर दवाएं पैरासिटामोल, एस्प्रिन और नॉन स्टीरायॅडल ऐंटी इन्फ्लेमैटरी कारगर नहीं होतीं। लिवर, ब्लड प्रेशर और गुर्दे की समस्या है तो ये दवाइयां नुकसान पहुंचा सकती हैं। तापमान कम करने के लिए क्लोरप्रोमौजीन पहले मुख्य उपचार के तौर पर इस्तेमाल होती थी। अब इससे परहेज किया जाता है। खुद ही ऐंटी एलर्जी और नाक बहने वाली दवाएं लेना हानिकारक साबित हो सकता है। हल्के तापमान को नजरंदाज न करें। ठंडक पहुंचाने के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें। मरीज को बहते हुए नल के नीचे नहलाना चाहिए, ना कि सिर्फ पानी लेकर हाथ या सिर को ठंडक पहुंचाएं। आइस मसाज से परहेज करना चाहिए।

ज्यादा शराब पीना है खराब


ज्यादा शराब पीने वाले लोगों में सबसे खतरनाक तरह के कैंसर होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है। भारतीय मूल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है। एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके के मुताबिक अमरीकी शोधकर्ताओं ने अपने शोध में कहा कि अल्कोहल और अग्नाशय के कैंसर में सीधा संबंध है। इस कैंसर का पता तब तक नहीं चलता है जब तक कि यह पूरी तरह से फैल नहीं जाता है। शोध में पाया गया कि ज्यादा शराब इस कैंसर के खतरे को डेढ़ से छह गुना तक बढ़ा देती है। यह खतरा शराब की मात्रा और अंतराल पर निर्भर होता है। एक बार में पांच ग्लास शराब पीने वालों में यह खतरा शराब न पीने वालों की तुलना में 3.5 गुना ज्यादा होता है। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के शोधकर्ता समीर गुप्ता ने कहा, 'ज्यादा शराब पीने की आदत में कमी करना उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, जितना कि हमें पता था।Ó गुप्ता के शोधकर्ता समूह ने कहा कि शराब और महिलाओं के कैंसर में भी सीधा संबंध है। शराब की मात्रा में कमी करने से यह खतरा भी कम हो सकता है। ब्रिटेन में हर साल अग्नाशय के कैंसर से 7,600 लोगों की मौत हो जाती है। इस कैंसर के केवल तीन फीसदी मरीज ही पांच साल से ज्यादा जिंदा रह पाते हैं। इससे पहले शराब से यकृत, आंत और गले के कैंसर का खतरा बढऩे की बात साबित हो चुकी है।

Saturday, May 22, 2010

आखिरी सफर




पायलट ने नियंत्रण खोया और गईं 159 जानें


मैंगलोर। दुबई से मैंगलोर आ रहा एअर इंडिया एक्सप्रेस बोइंग 737-800 विमान शनिवार सुबह तकरीबन छह बजे मैंगलोर के निकट बाज्पे हवाई अड्डे पर उतरते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 158 लोगों की मौत हो गई। हादसे में गंभीर रूप से घायल चार वर्षीय बच्ची ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। वह उन आठ लोगों में थीं, जो हादसे में बच गए थे। हादसे में गंभीर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। घायलों का एजे, यूनाइटेड और डेरालकेटे अस्पतालों में इलाज चल रहा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण(एएआई) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक बोइंग 737-800 की उड़ान संख्या आईएक्स 812 दुबई से मैंगलोर आते वक्त सुबह 6।05 बजे मैंगलोर हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान ने जब उड़ान भरी थी तो उसमें 166 लोग सवार थे। इनमें 137 व्यस्क, 19 बच्चे, चार नवजात और छह चालक दल के सदस्य सवार थे। ज्यादातर यात्री केरल और मैंगलोर के थे। दो दिन पहले तक यहां तेज बारिश हो रही थी लेकिन विमान के उतरते वक्त दृश्यता छह किलोमीटर तक थी, हवा शांत थी और बारिश नहीं हो रही थी। विमान को हालांकि जहां (टच डाउन जोन पर) उतरना था, वह उससे कुछ आगे उतरा और रनवे क्षेत्र से आगे निकल गया तथा एक गड्ढे में जा गिरा। माना जा रहा है कि रनवे पर उतरने के दौरान ही विमान का अगला पहिया फट गया था हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं किया गया है। हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से भाजपा के सांसद सदानंद गौड़ा ने कहा कि विमान उतरते वक्त एक इंस्ट्रमेंट लैंडिंग सिस्टम से टकरा गया। इसके बाद चालक ने विमान पर से नियंत्रण खो दिया और वह गड्ढे में जा गिरा, जिससे उसमें आग लग गई। एअर इंडिया के निदेशक अनूप श्रीवास्तव ने दुर्घटना के कारणों के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है। एएआई द्वारा जारी बयान में कहा गया कि इस रनवे की लम्बाई 2450 मीटर है और यहां 90 मीटर रनवे सुरक्षा क्षेत्र (रनवे इंड सेफ्टी एरिया) है। विमानचालक की ओर से किसी भी तरह की परेशानी होने की कोई सूचना नहीं दी गई थी। विमान का मुख्य पायलट सर्बियाई मूल का ब्रिटिश नागरिक था। टच डाउन जोन पर उतरने से चार मील पहले ही विमान को उतरने की हरी झंडी दे दी गई थी। श्रीवास्तव ने मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आठ यात्रियों को बचा लिया गया है, जबकि दो यात्रियों का अब तक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। घायलों में कुछ की हालत बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि मैंगलोर हवाई अड्डे को फिलहाल बंद कर दिया गया है। मैंगलोर हवाई अड्डे पर आने-जाने वाली सभी उड़ानें फिलहाल कालीकट से संचालित होंगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कुछेक यात्रियों को छोड़कर शेष किसी को बचाया नहीं जा सका। यह बहुत बड़ा हादसा है। मुख्यमंत्री इसके बाद दुर्घटना स्थल के लिए रवाना हो गए। खराब मौसम के कारण हालांकि उन्हें हासन में ही विमान छोड़ कर सड़क मार्ग से मैंगलोर के लिए रवाना होना पड़ा। अधिकारियों के मुताबिक राहत व बचाव कार्य के दौरान आग लगने के कारण उठ रहे धुएं से राहत कार्य में बाधा पहुंची। अग्निशमन विभाग की तकरीबन 20 गाडिय़ों और 25 एम्बुलेंस को बचाव कार्य में लगाया गया। हादसे में उमर फारुक नाम का एक शख्स जैसे-तैसे दुर्घटनाग्रस्त विमान से बाहर निकलकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहा। फारुक के संबंधियों ने बताया कि जैसे ही विमान उतरा, वैसे ही बहुत तेज आवाज आई। इसके तत्काल बाद उसमें आग लग गई और चारों ओर धुआं ही धुआं हो गया। विमान टूट गया और वह बाहर निकलने में कामयाब रहा। उन्होंने बताया कि फारुक के साथ दो-तीन और लोग वहां से कूदे थे लेकिन वे बच पाए या नहीं, यह पता नहीं है। फारुक के सिर और चेहरे का अधिकांश हिस्सा जल गया है। उन्होंने यह भी बताया कि चालक दल ने उतरने से पूर्व यात्रियों को आगाह भी नहीं किया था। यहां तक कि उन्हें सीट बेल्ट बांधने की सूचना तक नहीं दी गई। हादसे के मद्देनजर केरल में दो दिनों का शोक घोषित किया गया है। इस हादसे में मारे गए अधिकांश लोग केरल के थे। केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन और गृह मंत्री कोडियारी बालाकृष्णन भी दुर्घटनास्थल का जायजा लेने के लिए हादसे के कुछ ही घंटों बाद मैंगलोर पहुंच गए। मैंगलोर कर्नाटक और केरल की सीमा पर है। कर्नाटक के गृहमंत्री वीएस आचार्य ने कहा कि यह बहुत ही दुखद घटना है। बाज्पे हवाई अड्डा मैंगलोर से 30 किलोमीटर और बेंगलुरु से 350 किलोमीटर दूर स्थित है। पहाड़ों और जंगलों से घिरे इस हवाई अड्डे को उड़ान भरने और उतरने के लिहाज से देश के सबसे खतरनाक हवाई अड्डों में गिना जाता है। इस क्षेत्र में पिछले दो दिन भारी बारिश भी हुई थी।



स्वस्थ रहना है तो ठहाके लगाइए!

लंदन। यदि आपको स्वस्थ रहना हैं और चाहते हैं कि आपको डॉक्टर के पास न जाना पड़े तो व्यायाम करने की बजाए जिंदगी में हंसी तलाशने की कोशिश करे, क्योंकि वह आपको स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकती है। एक नए अध्ययन से खुलासा हुआ है कि हंसने से आपके शरीर को उतना ही फायदा पहुंच सकता है जितना कि सुबह-सुबह दौडऩे पर होता है। शोध में शामिल हुए प्रतिभागियों को हर दिन 20 मिनट के लिए कॉमेडी कार्यक्रम देखने के साथ अपने दैनिक कार्यों करने के लिए कहा गया। इसके बाद इन प्रतिभागियों में तनाव हार्मोन, उच्च रक्तदाब और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में काफी कमी देखी गई। इसके साथ ही हंसने से उनकी भूख उतनी ही बढ़ गई जितनी कि व्यायाम करने के बाद बढ़ जाती है। वेबसाइट 'एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूकेÓ के मुताबिक कैलीफोर्निया के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ली बर्क कहते हैं कि इसमें कोई संशय नहीं है कि प्रफुल्लित हंसी से होने वाला फायदा व्यायाम से होने वाले फायदे जितना ही होता है। मधुमेह के मरीजों के लिए भी हंसी सबसे अच्छी दवा हो सकती है। जो लोग भोजन के दौरान हास्य से भरपूर वीडियो देखते हैं, भोजन के तुरंत बाद उनके रक्त में इस तरह का वीडियो नहीं देखने वाले लोगों की तुलना में शर्करा का स्तर कम होता है।

Thursday, May 20, 2010

मांसपेशियों का दर्द मिटाता है अदरक



सर्दी और पेट की बीमारियां दूर करने में अदरक का उपयोग आम है लेकिन नए शोध के मुताबिक अदरक का रोजाना उपयोग व्यायाम से होने वाले मांसपेशियों के दर्द को भी कम करता है। जार्जिया के प्रोफेसर पेट्रिक ओ कोनर कहते हैं कि हालांकि चूहों पर अदरक के उत्तेजना कम करने वाला असर पहले देखा जा चुका है, लेकिन मानव मांसपेशियों पर इसके असर की अभी तक पड़ताल नहीं हुई थी। यह विश्वास किया जाता था कि खाने में गर्म अदरक का उपयोग दर्दनाशक प्रभाव दिखाता है। ओ कोनर ने 11 दिनों तक कच्चे और पके हुए अदरक के प्रभाव का अध्ययन मांसपेशियों के दर्द के दौरान अपने शोध में किया है। कोनर के साथ इस शोध में जार्जिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस ब्लेक और जन स्वास्थ विषय के प्रोफेसर मेट हेरिंग और डेविड हर्ले ने भी अपना हिस्सा लिया। अध्ययन में भाग लेने वाले 34 और 40 स्वयंसेवकों के समूहों को 11 दिनों तक हर रोज दो ग्राम कच्चा और पका अदरक खिलाया गया। अध्ययन के आठवे दिन उन्हें भारी वजन उठाने को कहा गया। इस व्यायाम के तीसरे दिन उनमें हाथों कार्यक्षमता, उत्तेजना, दर्द और दर्द पैदा करने वाले रसायनों का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पता चला कि कच्चा अदरक खाने वाले लोगों में दर्द 25 फीसदी कम रहा जबकि पका हुआ अदरक खाने वालों में यह प्रभाव नहीं देखा गया। ओ कानर ने कहा, 'मांसपेशियों का दर्द बहुत ही आसानी से पैदा हो जाने वाला आम दर्द है। जिन लोगों को इस तरह का दर्द है वे इस प्रयोग को करके आसानी से दर्द से निजात पा सकते हैं।Ó यह शोध जर्नल ऑफ पेन के सितंबर के अंक में प्रकाशन के लिए चुना गया है। फिलहाल यह डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट जेपेन डॉट ओआरजी/होम पर उपलब्ध है।

Tuesday, May 11, 2010

बासल: यादों का झरोखा





बासल भुलाए न भूलने वाला कल, जो आज भी लगता है कि कल की ही बात है। 1983 में मेरा जन्म इसी बासल नगरी में हुआ। काफी उतार-चढ़ाव के बीच जीवन का सफर शुरू हुआ। मेरे पापा इसी बासल फैक्ट्री में कर्मचारी थे। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। कई साल गुजर गए। इस गुजरते साल के साथ 1997 भी आ गया। मगर ये साल हमारे लिए नहीं बल्कि पूरे बासल नगरी के लिए कहर बनकर आया और देखते ही देखते सारे खुशियों का निगल गया। इस साल बासल फैक्ट्री बंद हो गई और सारे कर्मचारी, अधिकारी से लेकर वे सारे लोग जो इस फैक्ट्री से जुड़े थे सड़क पर आ गए। सड़क पर आने के बावजूद लोगों को इस फैक्ट्री से आस लगी रही। लोगों को लगता रहा कि ये फैक्ट्री बंद नहीं रह सकती। पान की दुकान से इस फैक्ट्री की तुलना करते लोग यह बोलते नहीं थकते थे कि यह बंद नहीं रह सकती। यह कहते-कहते लोग संघर्ष करते रहे, मगर परिणाम जस का तस रहा। फैक्ट्री बंद रही और कई साल लोग ऐसे ही गुजार दिए। कहते हैं आशा पर जिंदगी टिकी है। कुछ ऐसा ही यहां के लोगों के साथ हुआ। आशा कब निराशा में बदल गई पता ही नहीं चला, निराश लोग अब यहां से अपना समान समेट जाने लगे, इस बीच मैं अपने पिता को खो दिया, और मैं भी निराश हो कर बासल को अलविदा कह दिया। पिता को खोने के तीन साल बाद तक मैं बासल में रहा। उसके बाद मैं रांची आ गया और रांची से फिर मीडिया में। और अभी दिल्ली में हूं। मगर आज भी बासल की बहुत याद आती है। आज के बासल और बीते हुए बासल में बहुत अंतर है। आज का बासल 'जिंदल स्टील प्लांटÓ के नाम से जाना जाने लगा है। और वहां की स्थिति पहले से बिल्कुल जुदा हो गई है। सब कुछ बदल गया है केवल पुरानी फैक्ट्री, सेक्टर-1, सेक्टर-2, हनुमान मंदिर और मेरे स्कूल (डीएवी बासल विद्या मंदिर) को छोड़कर सबकुछ बदल गया है। हालांकि ये सब में भी बदलाव हुआ है मगर ये अभी वैसे ही हैं जैसे पहले थे। बस इनमें चमक आ गई है। बच्चपन की सारी यादें इस जगह से जुड़ी है जो भूलाए नहीं भूलती। बस ये सुनकर अब बहुत अच्छा लगता है कि वहां पहले जैसी रौनक आ गई है और लोगों को फिर से रोजगार मिल रहा है। पुराने लोगों ने जो खोया है, मैंने जो खोया है अब किसी किमत पर हासिल नहीं किया जा सकता। बस अब यही आशा है की आगे कभी यहां आने वाले लोगों को बासल जैसी संकट का सामना न करना पड़। -जीतेंद्र कुमार सिंह

Friday, May 7, 2010

हैप्पी मदर्स डे


हैप्पी मदर्स डे

प्यारी मां


जब मैं छोटा बच्चा था, मां का प्यारा दुलारा था, माखन-मिश्री घोल खिलाती, बड़े मजे से गोद में सुलाती, मां तो कितनी अच्छी है, सारी दुनिया उसमें है।

भगवान का दूसरा रूप है मां












भगवान कादूसरा रूप है मां, उनके लिए दे देंगे जां, हमको मिलता जीवन उनसे, कदमों में है स्वर्ग बसा, संस्कार वह हमें सिखलाती, अच्छा-बुरा हमें बतलाती, हमारी गलतियों को सुधारती, प्यार वह हम पर बरसाती, तबीयत अगर हो जाए खराब, रात-रात भर जागते रहना, मां बिन जीवन है अधूरा, खाली-खाली सूना-सूना, खाना पहले हमें खिलाती, बाद में वह खुद है खाती, हमारी खुशी में खुश हो जाती, दुख में हमारे आंसू बहाती, कितने खुशनसीब हैं हम, पास हमारे है मां, होते बदनसीब वे कितने, जिनके पास न होती मां