Friday, May 28, 2010

नक्सलियों के निशाने पर रेलवे




लोगों की आवाज को बुलंद करने का दावा करने वाले नक्सलियों ने अब आम लोगों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया है। नक्सलियों ने अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए 100 निर्दोष लोगों की जान ले ली। हालांकि अभी तक 74 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। नक्सलियों ने गुरुवार देर रात पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में झारग्राम स्टेशन के पास एक रेलवे ट्रैक को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। इससे हावड़ा से कुर्ला जा रही 2102 ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए और चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। नक्सली संगठन पुलिस संत्रास विरोधी जन समिति (पीसीपीए) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। रेलवे ने घटना के पीछ नक्सलियों का हाथ बताया है। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी हमले में माओवादियों का हाथ होने की बात कही है वहीं गृह मंत्रालय का कहना है कि इस मुद्दे पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। घटना के बाद पांच राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। इस हादसे को देखते हुए रेलवे नक्सल प्रभावित राज्यों में रात में ट्रेनों को नहीं चलाने पर विचार कर रहा है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) विवेक सहाय ने कहा कि उड़ीसा, बिहार, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में रात में ट्रेनों के नहीं चलाने के मुद्दे पर हम विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस बारे में जल्द कोई फैसला किया जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक 2102 हावड़ा- कुर्ला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस गुरुवार रात 10.55 बजे हावड़ा से रवाना हुई। ट्रेन ने गुरुवार देर रात करीब डेढ़ बजे जैसे ही खडग़पुर स्टेशन को पार किया, तभी रेलवे ट्रैक पर जोर का धमाका हुआ और ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। ट्रेन के चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से जा भिड़े। घटना में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की चार बोगी एस-3, एस-4, एस-5 और एस-6 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घटना के एक घंटे बाद राहत कार्य शुरू किया गया लेकिन तब तक कई लोगों की जानें जा चुकी थी। कई और लोग डिब्बों में फंसे हुए हैं इस वजह से मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो एस-6 डिब्बे से कुछ घायलों को गैस कटर की मदद से बाहर निकाला गया है लेकिन बाकी के तीन डिब्बों एस-3, एस-4 और एस-5 में किसी यात्री के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है। रेलवे ने इस घटना के पीछे नक्सलियों का हाथ बताया है। दक्षिण पूर्व रेलवे के जीएम एपी मिश्रा ने कहा कि रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के कारण ज्ञानेश्वर एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। उधर, पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) सुरजीतकार पुरकायस्थ ने बताया कि पीसीपीए ने दुर्घटनास्थल के पास दो पोस्टर छोड़े हैं, जिनमें उसने हमले की जिम्मेदारी ली है। पोस्टर में कहा गया है कि पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों से संयुक्त सुरक्षा बल वापस बुलाए जाने की उनकी मांग नहीं मानी गई, जिसके कारण इस हमले को अंजाम दिया गया। यह पोस्टर दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के दौरान की जा रही जांच के दौरान रेल की पटरियों के पास मिला। इस बीच, घटना के बाद रेलवे की ओर से पांच राज्यों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल में अलर्ट जारी किया गया है। इस अलर्ट के तहत इन राज्यों से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड कम रखी जाएगी और इसके साथ ही सीआरपीएफ की गश्त भी बढ़ाई जाएगी। इस ट्रेन हादसे के एक घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सका। नजदीकी स्थलों से डॉक्टरों की टीमें घटनास्थल के लिए रवाना की गई। डिब्बों में फंसे लोगों को निकालने के लिए कटर मशीनें पहुंची। राहत एवं बचाव कार्य में वायु सेना की मदद ली गई। जिस जगह पर रेल पटरी उड़ाने के कारण यह हादसा हुआ, वह वायुसेना के कलईकुंडा एयरबेस से महज 30 किलोमीटर दूर है और वायुसेना ने वहां से अपने दो हेलीकॉप्टरों चेतक और मिग 17 को राहत कार्यों में लगाया, जबकि जोरहाट एयरबेस से डाक्टरों की एक टीम परिवहन विमान एएन 32 से यहां पहुंची।
नक्सलियों द्वारा रेलवे पर हुए अब तक के हमले22 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में माओवादियों की ओर से की गई फायरिंग में टाटानगर जा रही स्टील एक्सप्रेस में एक पुलिसकर्मी सहित दो की मौत। 20 मई 2010 - बिहार के दिघवारा और पीपरा स्टेशन के बीच नक्सलियों ने तेल टैंकरों से लदी मालगाड़ी को निशाना बनाते हुए रेलवे लाइन को उड़ाया। मालगाड़ी के 14 डिब्बे पटरी से उतरे। 19 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर में झारग्राम के पास नक्सलियों ने लैंडमाइन ब्लास्ट से रेलवे ट्रैक उड़ाया। मालगाड़ी के दो ड्राइवर घायल, इंजन पूरी तरह क्षतिग्रस्त। 27 अक्टूबर 2009 - नक्सलियों ने भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को 8 घंटे तक बंधक बनाया। नवंबर 2009 - झारखंड के सिमदेगा जिले में नक्सलियों ने रेलवे ट्रैक उड़ाया। पैसेंजर ट्रेन के दो यात्रियों की मौत, 38 घायल। मई 2008 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को पांच घंटे के लिए बंधक बनाया। 22 अप्रेल 2006 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को आठ घंटे के लिए कब्जे में लिया।

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