Tuesday, December 21, 2010

4 नहीं, बस 2 ही आंखें

' मिस्टर चश्मुद्दीन' को यों तो चश्मे से कोई खास दिक्कत नहीं थी, लेकिन जब कभी ब्लूलाइन में चढ़ने की बारी आती या किसी से झगड़ा हो जाता या फिर आर्मी, एयर फोर्स का कोई फिजिकल टेस्ट पास करना होता, तो जरूर उन्हें अपनी ये दो एक्स्ट्रा आंखें दुश्मन दिखाई देतीं। आखिर 'मिस्टर चश्मुद्दीन' ने चश्मे से छुटकारा पाने का फैसला किया और सर्जरी कराकर अपनी इन दो एक्स्ट्रा आंखों को बाय-बाय कह दिया। चश्मा हटाने के कौन-कौन से तरीके इन दिनों उपलब्ध हैं? इन पर कितना खर्च आता है और इनमें रिस्क क्या हैं? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स की मदद से तलाशे प्रभात गौड़ ने :

हमारी आंखें
चश्मा हटाने के बारे में जानने से पहले हमें यह समझना होगा कि आंख काम कैसे करती है और नजर कैसे कमजोर होती है।

कैसे काम करती है आंख : आंख जब किसी चीज को देखती है तो उस चीज से रिफ्लेक्ट होनेवाली रोशनी आंख की कॉनिर्या के पीछे मौजूद नैचरल लेंस से गुजरकर रेटिना पर फोकस होती है। रेटिना नर्व्स का बना होता है और सामान्य आंख में इसी पर आकर उस चीज की इमेज बनती है। इसके बाद ये र्नव्स उस इमेज के संकेत दिमाग को भेज देती हैं और दिमाग चीज को पहचान लेता है।

नॉर्मल आंख : जब किसी चीज की इमेज सीधे रेटिना पर बनती है, तो हम उस चीज को साफ-साफ देख पाते हैं और माना जाता है कि नजर ठीक है।

मायोपिया या निकट दृष्टि दोष : जब कभी चीज की इमेज रेटिना पर न बनकर, उससे पहले ही बन जाती है तो चीज धुंधला दिखाई देने लगती हैं। इस स्थिति को मायोपिया कहा जाता है। इसमें आमतौर पर दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर इस स्थिति में सुधार किया जाता है। मायोपिया कई मामलों में शुरुआती छोटी उम्र में भी हो सकता है। यानी 6 साल के आसपास भी मायोपिया आ सकता है।

चश्मा हटाने के तरीके

कॉन्टैक्ट लेंस
चश्मा हटाने के लिए कॉन्टैक्ट लेंस का ऑप्शन काफी पुराना है, जिसमें किसी सर्जरी की जरूरत नहीं होती। बेहद पतली प्लास्टिक के बने कॉन्टैक्ट लेंस आंख की पुतली पर मरीज खुद ही लगा लेता है और रात को सोते वक्त उन्हें उतार देता है। ये लेंस कर्वी होते हैं और आंख की पुतली पर आसानी से फिट हो जाते हैं। कितने नंबर का लेंस लगाना है, कैसे लगाना है और देखभाल कैसे करनी है, ये सब बातें डॉक्टर मरीज को समझा देते हैं। बाहर से देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि आंखों में लेंस लगे हैं या नहीं।

कॉन्टैक्ट लेंस दो तरह के होते हैं - रिजिड और सॉफ्ट। जिस लेंस की जितनी ऑक्सिजन परमिएबिलिटी (अपने अंदर से ऑक्सिजन को पास होने देने की क्षमता) होगी, वह उतनी ही अच्छा होगा।

कॉन्टैक्ट लेंस के मामले में सबसे महत्वपूर्ण है इसकी देखभाल। इन्हें साफ, सूखा और इन्फेक्शन से बचा कर रखना जरूरी है। कभी बाहर की चीजें और कभी आंख के आंसुओं आदि की वजह से कॉन्टैक्ट लेंस पर कुछ जमा हो जाता है। ऐसे में लेंसों को पहनने से पहले और निकालने के बाद हाथ की हथेली पर रखकर उनके साथ दिए गए सल्यूशन से साफ करना जरूरी होता है। सल्यूशन नहीं है, तो लेंस को पानी आदि से साफ करने की कोशिश न करें। बिना सल्यूशन के लेंस खराब हो सकता है। सल्यूशन आपके पास होना ही चाहिए।

कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के शुरुआती दिनों में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन आदत पड़ जाने पर इनका पता भी नहीं चलता।

एक बार लेंस लेने के बाद डॉक्टर से रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इन लेंसों को बदलते भी रहना चाहिए।

जिन लोगों की आंखें ड्राई रहती हैं या ज्यादा सेंसिटिव हैं या फिर किसी तरह की कोई एलर्जी है, उन्हें कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की सलाह नहीं दी जाती।

अगर साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और डॉक्टर के कहे मुताबिक लेंस का इस्तेमाल किया जाए तो कॉन्टैक्ट लेंसों का कोई रिस्क नहीं है।

स्विमिंग करते वक्त कॉन्टैक्ट लेंस नहीं लगाने चाहिए। मेकअप करते और उतारते वक्त कोशिश करें कि लेंस न पहने हों।

लेंस को हथेली पर रखकर सल्यूशन की मदद से रोजाना साफ करना जरूरी है। जब पहनें, तब भी साफ करें और जब निकालें, तब भी साफ करके ही रखें। अगर हर महीने लेंस बदल रहे हैं, तब भी रोजाना सफाई जरूरी है।

कुछ खास स्थितियों में ही डॉक्टर छोटे बच्चों को कॉन्टैक्ट लेंस बताते हैं, वरना जब तक बच्चे लेंस की देखभाल करने लायक न हो जाएं, तब तक उन्हें लेंस लगाने की सलाह नहीं दी जाती।

ऐसा कभी नहीं होता कि लेंस आंख में खो जाए या उससे आंख को कोई नुकसान हो। कई बार यह आंख में सही जगह से हट जाता है। ऐसे में आंख को बंद करें और धीरे-धीरे पुतली को हिलाएं। लेंस अपने आप अपनी जगह आ जाएगा।

कॉन्टैक्ट लेंस यूज करने वालों को अपने साथ चश्मा भी रखना चाहिए। आप जब चाहें, चश्मा लगा सकते हैं और जब चाहें, लेंस लगा सकते हैं।

सर्जरी
चश्मा हटाने के लिए आमतौर पर तीन-चार तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं। कुछ साल पहले तक रेडियल किरटोटमी ऑपरेशन किया जाता था, लेकिन आजकल यह नहीं किया जाता। इससे ज्यादा लेटेस्ट तकनीक अब आ गई हैं। हम यहां चार तरह की सर्जरी की बात करेंगे। इन सभी में विजन 6/6 (परफेक्ट विजन) आ जाता है, लेकिन सबकी क्वॉलिटी अलग-अलग है। नंबर चाहे प्लस का हो या फिर माइनस का या फिर दोनों, सर्जरी के इन तरीकों से सभी तरह के चश्मे हटाए जा सकते हैं यानी मायोपिया और हाइपरोपिया दोनों ही स्थितियों को इन तरीकों से अच्छा किया जा सकता है।

कुछ में सर्जरी के बाद कुछ समस्याएं हो सकती हैं, तो कुछ एक निश्चित नंबर से ज्यादा का चश्मा हटाने में कामयाब नहीं हैं। ऐसे में डॉक्टर आंख की पूरी जांच करने के बाद ही यह सही सही-सही बता पाते हैं कि आपके लिए कौन-सा तरीका बेहतर है।

कौन करा सकता है सर्जरी
जिन लोगों की उम्र 18 साल से ज्यादा है और उनके चश्मे का नंबर कम-से-कम एक साल से बदला नहीं है, वे लेसिक सर्जरी करा सकते हैं।

अगर किसी शख्स की उम्र 18 साल से ज्यादा है लेकिन उसका नंबर स्थायी नहीं हुआ है, तो उसकी सर्जरी नहीं की जाती। सर्जरी के लिए एक साल से नंबर का स्थायी होना जरूरी है।

जिन लोगों का कॉर्निया पतला है, उन्हें ऑपरेशन की सलाह आमतौर पर नहीं दी जाती।

गर्भवती महिलाओं का भी ऑपरेशन नहीं किया जाता।

कितनी तरह की सर्जरी

सिंपल लेसिक
सिंपल लेसिक सर्जरी को पहले यूज किया जाता था, लेकिन अब डॉक्टर इसका इस्तेमाल नहीं करते। वजह यह है कि ऑपरेशन के बाद इसमें काफी जटिलताएं होने की आशंका बनी रहती है, मसलन आंखें चुंधिया जाना आदि। हालांकि इस तरीके से ऑपरेशन करने के बाद चश्मा पूरी तरह हट जाता है और नजर क्लियर हो जाती है। जहां तक खर्च का सवाल है, तो इसमें दोनों आंखों के ऑपरेशन का खर्च करीब 20 हजार रुपये आता है।

सी-लेसिक
इसे कस्टमाइज्ड लेसिक भी कहा जाता है। चश्मा हटाने के लिए किए जानेवाले ज्यादातर ऑपरेशन आजकल इसी तकनीक से किए जा रहे हैं। सिंपल लेसिक कराने के बाद आनेवाली तमाम दिक्कतें इसमें नहीं होतीं। इसे रेडीमेड और टेलरमेड शर्ट के उदाहरण से समझ सकते हैं - मतलब सिंपल लेसिक अगर रेडीमेड शर्ट है तो सी-लेसिक टेलरमेड शर्ट है। सिंपल लेसिक में पहले से बने एक प्रोग्राम के जरिए आंख का ऑपरेशन किया जाता है, जबकि सी-लेसिक में आपकी आंख के साइज के हिसाब से पूरा प्रोग्राम बनाया जाता है। कहने का मतलब हुआ कि सी लेसिक में आंख विशेष के हिसाब से ऑपरेशन किया जाता है, इसलिए यह ज्यादा सटीक है। जहां तक ऑपरेशन के बाद की आनेवाली दिक्कतों की बात है तो सी-लेसिक में वे भी बेहद कम हो जाती हैं। यह सिंपल लेसिक के मुकाबले ज्यादा सेफ और बेहतर है। खर्च दोनों आंखों का लगभग 30 हजार रुपये आता है।

तरीका : जिस दिन ऑपरेशन किया जाता है, उस दिन मरीज को नॉर्मल रहने की सलाह दी जाती है। इस ऑपरेशन में दो से तीन मिनट का वक्त लगता है और उसी दिन मरीज घर जा सकता है। ऑपरेशन करने से पहले डॉक्टर आंख की पूरी जांच करते हैं और उसके बाद तय करते हैं कि ऑपरेशन किया जाना चाहिए या नहीं। ऑपरेशन शुरू होने से पहले आंख को एक आई-ड्रॉप की मदद से सुन्न (ऐनस्थीजिआ) किया जाता है। इसके बाद मरीज को कमर के बल लेटने को कहा जाता है और आंख पर पड़ रही एक टिमटिमाती लाइट को देखने को कहा जाता है। अब एक स्पेशल डिवाइस माइक्रोकिरेटोम की मदद से आंख के कॉनिर्या पर कट लगाया जाता है और आंख की झिल्ली को उठा दिया जाता है। इस झिल्ली का एक हिस्सा आंख से जुड़ा रहता है। अब पहले से तैयार एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए इस झिल्ली के नीचे लेजर बीम डाली जाती हैं। लेजर बीम कितनी देर के लिए डाली जाएगी, यह डॉक्टर पहले की गई आंख की जांच के आधार पर तय कर लेते हैं। लेजर बीम डल जाने के बाद झिल्ली को वापस कॉनिर्या पर लगा दिया जाता है और ऑपरेशन पूरा हो जाता है। यह झिल्ली एक-दो दिन में खुद ही कॉनिर्या के साथ जुड़ जाती है और आंख नॉर्मल हो जाती है। मरीज उसी दिन अपने घर जा सकता है। टांके या दर्द जैसी कोई शिकायत नहीं होती। एक या दो दिन के बाद मरीज अपने सामान्य कामकाज पर लौट सकता है। कुछ लोग ऑपरेशन के ठीक बाद रोशनी लौटने का अनुभव कर लेते हैं, लेकिन ज्यादातर में सही विजन आने में एक या दिन का समय लग जाता है।

बाद में भी रखरखाव जरूरी : ऑपरेशन के बाद दो से तीन दिन तक आराम करना होता है और उसके बाद मरीज नॉर्मल काम पर लौट सकता है। स्विमिंग, मेकअप आदि से कुछ हफ्ते का परहेज करना होगा। जो बदलाव कॉर्निया में किया गया है, वह स्थायी है इसलिए नंबर बढ़ने या चश्मा दोबारा लगने की भी कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन कुछ और वजहों मसलन डायबीटीज या उम्र बढ़ने के साथ चश्मा लग जाए, तो बात अलग है।

ब्लेड-फ्री लेसिक या आई-लेसिक
सर्जरी की मदद से चश्मा हटाने का यह लेटेस्ट तरीका है। सिंपल लेसिक और सी-लेसिक में कॉर्निया पर कट लगाने के लिए एक माइक्रोकिरेटोम नाम के डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ब्लेड-फ्री लेसिक में इस कट को भी लेसर की मदद से ही लगाया जाता है। बाकी सर्जरी का तरीका सी-लेसिक जैसा ही होता है। अगर पावर ज्यादा है, कॉर्निया बेहद पतला है, तो ब्लेड-फ्री लेसिक कराने की सलाह दी जाती है। वैसे, ऐसे लोगों को इसे ही कराना चाहिए, जिन्हें एकदम परफेक्ट विजन चाहिए मसलन स्पोर्ट्समैन, शूटर आदि। दोनों आंखों के ऑपरेशन का खर्च 85 हजार रुपये तक आ जाता है। आई-लेसिक सर्जरी में शुरुआत के दिनों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं, मसलन आंख के सफेद हिस्से पर लाल धब्बे, जो दो से तीन हफ्ते में खत्म हो जाते हैं। आंखों में थोड़ा सूखापन हो सकता है और कम रोशनी में देखने में कुछ दिक्कत हो सकती है। कुछ समय बाद ये दिक्कतें अपने आप दूर हो जाती हैं।

लेंस इंप्लांटेशन यानी ICL
अगर चश्मे का नंबर माइनस 12 से ज्यादा है और कॉर्निया इतना पतला है कि आई-लेसिक भी नहीं हो सकता है, तो डॉक्टर चश्मा हटाने के लिए लेंस इंप्लांटेशन तकनीक का यूज करते हैं। इसमें आंख के अंदर इंप्लांटेबल कॉन्टैक्ट लेंस (आईसीएल) लगा दिया जाता है। आईसीएल बेहद पतला, फोल्डेबल लेंस होता है, जिसे कॉनिर्या पर कट लगाकर आंख के अंदर डाला जाता है। जिस मिकेनिजम पर कॉन्टैक्ट लेंस काम करते हैं, यह लेंस भी उसी तरह काम करता है। फर्क बस इतना है कि इसे आंख में पुतली (आइरिस) के पीछे और आंख के नेचरल लेंस के आगे फिट कर दिया जाता है, जबकि कॉन्टैक्ट लेंस को पुतली के ऊपर लगाया जाता है। इसमें एक बार में एक ही आंख का ऑपरेशन किया जाता है। पूरी प्रक्रिया में लगते हैं 30 मिनट और दूसरी आंख का ऑपरेशन कम-से-कम एक हफ्ते के बाद किया जाता है। ऑपरेशन होने के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकता है और दो-तीन दिन के बाद ही नॉर्मल रुटीन पर आ सकता है।

नजर बेहतर बनाने के दूसरे तरीके

होम्योपैथी
होम्योपैथी में आमतौर पर ऐसे दावे नहीं किए जाते कि इससे मायोपिया (दूर की नजर कमजोर होना) का नंबर हट सकता है, फिर भी अगर नंबर कम है और समय रहते दवाएं लेनी शुरू कर दी जाएं तो होम्योपैथिक दवाएं नजर को बेहतर बनाने और चश्मे के नंबर को कम करने या टिकाए रखने में बहुत कारगर हैं।

चश्मे का नंबर कम करने के लिए फाइसोस्टिगमा 6 ( Physostigma ) या रस टॉक्स 6 ( Rhus.Tox ) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेने लें।

कई बार आंखों की मसल्स कमजोर हो जाने की वजह से भी नजर कमजोर होती है। अगर ऐसी स्थिति है तो मरीज को जेलसीमियम 6 ( Gelsemium ) या बेलाडोना 6 ( Belladonna ) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेनी चाहिए।

अगर चोट आदि के बाद नजर कमजोर हुई हो तो आर्निका 6 ( Arnica ) या बेलिस 6 ( Belles) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेनी चाहिए।

नोट : चूंकि यह इलाज लंबा चलता है, इसलिए ये सभी दवाएं कम पोटेंसी की ही दी जानी चाहिए। वैसे कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।

आयुर्वेद
आयुर्वेद में भी मायोपिया के केस का चश्मा पूरी तरह हटाने के केस न के बराबर मिलते हैं, लेकिन आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आयुवेर्द में काफी कुछ है। इन दवाओं और नुस्खों के काफी अच्छे रिजल्ट भी देखने को मिले हैं।

खाने में दूध, आंवला, गाजर, पपीता, संतरा और अंकुरित अनाज जरूर शामिल करें।

मां बच्चे को अपना दूध अच्छी तरह पिलाती है तो बच्चे की नजर कमजोर होने के आसार कम हो जाते हैं।

खाना खाने के बाद आधा चम्मच भुनी सौंफ और मिश्री को चबाकर खाने से आंखों की परेशानियां नहीं होतीं।

आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों की दूसरी दिक्कतों के लिए आयुवेर्द में दो दवाओं का यूज किया जाता है। ये हैं त्रिफला घृत और सप्तामृत लौह। इन दवाओं को सेवन वैद्य की सलाह से करें। ये दवाएं बचाव के तौर पर नहीं ली जातीं। बीमारी होने पर डॉक्टर की सलाह से ही इन्हें लेना चाहिए। चश्मे का नंबर लगातार बढ़ रहा है तो ये दवाएं कारगर हैं।

एक बूंद शहद में एक बूंद प्याज का रस मिलाकर हथेली पर रगड़ लें। सोने से पहले आंखों में काजल की तरह लगाएं।

खाने के बाद गीले हाथों को दोनों आंखों पर फेरें।

हफ्ते में दो दिन पैर के तलुए और सिर के बीचोबीच तेल की मालिश करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

एक चम्मच गाय का घी, आधा चम्मच शक्कर और दो काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट लें। बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बहुत बढि़या नुस्खा है।

योग
जिन लोगों की नजर कमजोर है, उन्हें नीचे दी गई यौगिक क्रियाओं को करना चाहिए। इन क्रियाओं को अगर सामान्य नजर वाले लोग भी नियमित करें तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर नहीं होगी। सलाह यही है कि कोई भी क्रिया योग विशेषज्ञ से सीखकर ही करनी चाहिए।

आंखों के यौगिक सूक्ष्म व्यायाम (नेत्र-शक्ति विकासक क्रियाएं) नियमित करें। इसमें क्रमश: आंखों को ऊपर-नीचे, दायें-बायें घुमाएं। इसके बाद दायें से बायें और बायें से दायें गोलाकार घुमाएं। हर क्रिया पांच से सात बार कर लें।

सूर्य नमस्कार 6 से 12 बार तक कर सकते हैं।

कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, भ्रामरी और उद्गीत प्राणायाम (ओम जाप) खासतौर से फायदा पहुंचाते हैं।

शुद्धि क्रियाओं में जलनेति, दुग्धनेति और घृतनेति कुछ दिन तक नियमित करने से नेत्र ज्योति में चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। इन क्रियाओं को किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर ही करें।

ये योगासन आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं : सर्वांगासन, मत्स्यासन, पश्चिमोत्तानासन, मंडूकासन, शशांकासन और सुप्तवज्रासन।

शुद्ध शहद या गुलाब अर्क आंखों में नियमित डालने से भी नेत्र ज्योति बढ़ती है।

त्रिफला को रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसके जल को छान लें और उससे आंखें धोएं।

बच्चों को छह साल की उम्र के बाद योग करवाया जा सकता है, लेकिन आंखों की सूक्ष्म क्रियाएं छह साल से पहले भी शुरू कराई जा सकती हैं।

Thursday, December 9, 2010

राजनीति में‘भोर’की आहट‘भारतीय गरीब हैं, पर भारत गरीब देश नहीं है’



अखबारों की खबरें, अगर सही हैं, तो बिहार की राजनीति में एक नयी संभावना की आहट है.बिहार से अधिक, भारत की दरुगध देती राजनीति के समानांतर, बिहार से ही पूरे मुल्क के लिए एक उम्मीद भरी सुबह की शुरुआत की तैयार पृष्ठभूमि के संकेत. बिहार, जो पूरे देश में व्यंग्य, हास्य और कटु बातों का पर्याय था, वही देश की राजनीति मेंमानकबनने की उम्मीद जगा रहा है.

अगर यह हो गया, तो यह मुहावरा नये सिरे से लिखा जायेगा, कि बंगाल, जो आज सोचता है, देश कल. हालांकि अंगरेजों के जमाने का यह कथन, बहुत पहले अपना रेलिवेंस (प्रासंगिकता) खो चुका है.एक नयी शुरुआत के संकेत कहां से है?इन खबरों में!(1) बंद हो सकता है, एमएलए फ़ंड?(2) भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग.(3) लोक सेवा पाने का हक.(4) सासंद-विधायक देंगे संपत्ति का ब्योरा.

एमपी या एमएलए फ़ंड
, भारतीय राजनीति की एक गंभीर बीमारी (भ्रष्टाचार का कैंसर) का सबसे दागदार प्रतीक है. देश में कहीं चले जाइए, जनता की लोक मान्यता है कि खांटी ईमानदार भी घर बैठे-बैठे 20 फ़ीसदी, इस कोष से पाते हैं. यह गलत है. आज भी यह संवाददाता, अनेक ईमानदार राजनेताओं की सूचना रखता है, जो इस फ़ंड से एक धेला भी नहीं छूते. राजनीति मेंभोर..हालांकि ऐसे लोग अब राजनीति में अपवाद हैं.

पर मार्केटिंग के इस दौर में माना जाता है कि
परसेप्शन इज रियलिटी(बोध या धारणा ही सच है). यह मान लिया गया है कि एमपी-एमएलए फ़ंड, भ्रष्टाचार की संस्कृति का स्र्ोत है. याद करिए, इसकी शुरुआत? पूत के पांव पालने में ही पहचाने जाते हैं? नरसिंह राव की सरकार को लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना था.

1991-1996 का दौर. पहली बार तब सांसद घूस कांड हुआ. सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीद-फ़रोख्त की पहली घटना, भारतीय लोकतंत्र में.उसी सरकार के मौलिक चिंतन या सांसदों को खुश रखने की योजना से ही इसकी शुरूआत.आज झारखंड में एक विधायक तीन करोड़ तक खर्च कर सकता है. विधायक फ़ंड से. पहले दो करोड़ था, मधु कोड़ा कार्यकाल में एक करोड़ और बढ़ा. झारखंड की राजनीति के स्तर बताने की जरूरत नहीं.

इस सांसद-विधायक फ़ंड ने
, राजनीति के सतीत्व (ईमानदारी) पर सवाल उठा दिया है? इसने पवित्र और धवल राजनीति के चादर पर सबसे गहरा दाग छोड़ा है. इसे नकारते सभी हैं. कुछ ही दिनों पहले लालू जी ने भी कहा था कि एमएलए फ़ंड से अब कार्यकर्ता नहीं, ठेकेदार उपजते हैं. पिछले 15 वर्षो में केंद्र से लेकर अनेक राज्यों के ईमानदार राजनेता (सभी दलों के) इसे कोसते रहे हैं.

ठेठ बनारसी लफ्ज में कहें
, तो इसे कबाहट (सिरदर्द देनेवाली चीज) मानते रहे हैं, पर कोई साहस नहीं कर सका, इसे हटाने या इसके स्वरूप को बदलने के लिए? बिहार की राजनीति में इसे हटाने यह इसके स्वरूप को बदलने की सुगबुगाहट है, यह उम्मीद पैदा करनेवाला कदम होगा. इस अर्थ में बिहार की राजनीति, देश को राह दिखायेगी. जो राजनीति व्यवसाय-धंधा का प्रतीक बन गयी है, उसकी साख लौटाने का यह प्रस्थान (मानक) बिंदु होगा.

अंतत: राजनीति ही देश या समाज को शिखर पर पहुंचा सकती है
, कोई और विधा नहीं. उस राजनीति का चीरहरण करने में इसफ़ंड योजना की कारगर भूमिका रही है. इससे दलों में कार्यकर्ताओं का पनपना-जनमना बंद हो गया. ठेकेदार बननेवालों की स्पर्धा शुरू हो गयी. बिचौलिये या ठेकेदार, नयी राजनीतिक संस्कृति के जन्मदाता हो गये. ठेकेदार नाराज, तो ईमानदार राजनेता के भविष्य पर प्रश्न चि: लगने लगा? यह योजना लांछन की प्रतीक बन गयी.

इस लांछन से मुक्ति की पहल
, बिहार से हो, तो एहसास करिए देश की मौजूदा राजनीति पर इसका क्या दबाव होगा? मनोवैज्ञानिक, नैतिक और मुद्दे की गंभीरता को लेकर. बिहार ने इसे खत्म करने की पहल की, तो पूरे देश की राजनीति में यह निर्णायक सवाल बनेगा. कारण जनता में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आग है.

विस्फ़ोटक आक्रोश है. नहीं समझ आये
, तो गैर राजनीतिक बाबा रामदेव की सभाओं की भीड़ जाकर देखें. उसके मूड को परखें. इस मुद्दे पर जनता एक तरफ़, नेता दूसरी तरफ़. बिहार प्रो-पीपुल कदम उठा कर, देश के सभी दलों को, पूरी राजनीति के मौजूदा व्याकरण को बदलने की पृष्ठभूमि तैयार कर देगा. यह कदम उठानेवाले बिहार के सभी विधायक, बिहार समेत अपने लिए यश और कीर्ति का नया अध्याय लिखेंगे.

राजनीति के इतिहास में बिहार स्मरण किया जायेगा.भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मोरचा खोलने का सरकारी निर्णय भी दूरगामी असर पैदा करनेवाला है. पिछले कुछेक महीनों से एक एसएमएस खूब घूम रहा है.
अंगरेजी में. भावार्थ हैभारतीय गरीब हैं, पर भारत गरीब देश नहीं है, यह कहना है, स्विस बैंक के एक डाइरेक्टर का. उनके अनुसार 280 लाख करोड़ भारतीय मुद्रा, स्विस बैंकों में जमा है.

इसका उपयोग कर
30 वर्षो तक कररहित बजट बन सकता है. 60 करोड़ भारतीयों को इस राशि से नौकरी मिल सकती है. देश के किसी गांव से दिल्ली तक चार लेन की सड़क बन सकती है. हमेशा के लिए 500 सामाजिक योजनाओं को मुफ्त बिजली दी जा सकती है. 60 वर्षो तक हर नागरिक को 2000 प्रतिमाह भुगतान किया जा सकता है.

वर्ल्ड बैंक
, आइएमएफ़ लोन की जरूरत नहीं. सोचिए, किस तरह हमारा धन, धनी राजनेताओं द्वारा कैद (ब्लाक) है. भ्रष्ट राजनेताओं के खिलाफ़ हमारा पूरा फ़र्ज है. इस एमएमएस (संदेश) को इतना भेजें कि पूरा भारत पढ़े.इस एमएमएस की शुरुआत कब से हुई? नवंबर 2010 में एक रिपोर्ट जारी हुई. ग्लोबल फ़ाइनेंशियल इंटीग्रिटी (सपोर्टेड बाइ फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन). तैयार करनेवाले हैं देवकर. रिपोर्ट का नाम है, द ड्राइवर्स एंड डायनामिक्स ऑफ़ इलिसिट फ़ाइनेंशियल फ्लोज फ्राम इंडिया 1948 टू 2008.
इस रपट की पांच बातों पर गौर करें
1.ग्लोबल फ़ाइनेंशियल इंटीग्रिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 1948-2008 के बीच भारत का विदेशी बैंको में कुल 20 लाख करोड़ रुपये कालेधन के रूप में जमा है. रिपोर्ट के मुताबिक कालेधन का प्रवाह 11.7 फ़ीसदी सालाना का दर से बढ़ा है.
2. यह रकम 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में हुए नुकसान का 12 गुणा अधिक है.
3. स्विस बैंक एसोशिएशन 2008 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों के स्विस बैंक में 66,000 अरब रुपये(1500 बिलियन डालर) जमा है. रूस के 470 बिलियन डालर, ब्रिटेन के 390 बिलियन, यूक्रेन के 100 बिलियन, जबकि अन्य देशों का कुल 300 बिलियन डालर है.
4. कार एंड कार्टराइट स्मिथ की 2008 की रिपोर्ट के मुताबिक 2002-06 के दौरान कालेधन के कारण भारत को सालाना 23.7-27.3 बिलियन डालर का नुकसान उठाना पडा है.
5. आइएमएफ़ की रिपोर्ट के मुताबिक 2002-06 के दौरान भारत को कालेधन के कारण 16 बिलियन डॉलर सालाना का नुकसान हुआ है.इस रिपोर्ट को हर भारतीय को पढ़ना चाहिए.

कैसे वर्ष
1948 से 2008 तक भारत से कालाधन बाहर गया? काले अंग्रेजों ने कैसे भारतीयों को लूटा? चंगेज, नादिरशाह या बाहरी लुटेरों से भी अधिक क्रूरता और बेदर्दी से? इसी तरह जैसे 2जी प्रकरण के सभी टेपों को पुस्तकाकार के रूप में छाप कर किसी देशभक्त को हर भारतीय को बंटवा देना चाहिए, ताकि हर भारतीय मीडिया से लेकर शासक वर्ग के हर अंग (नेता, अफ़सर, उद्यमी) की हकीकत समझ सके. लॉबिस्ट सांसदों या राजनीति का असली चरित्र खुद पढ़-सुन सके.

यह बताने या याद कराने की जरूरत नहीं कि प्रभात खबर ने कैसे
2009 के लोकसभा चुनावों में स्विस बैंक में जमा भारतीय काला धन का मुद्दा उठाया था. अनेक तथ्यों के साथ. तब यह देशव्यापी चर्चा का विषय बना, पर फ़िर चुप्पी. अब इस रिपोर्ट ने दुखते रग पर हाथ डाल दी है. सरकार चुप नहीं रह सकती. खबर आयी है कि काले धन के अध्ययन की कमिटी बन रही है.

14 देशों तक इसके पसरे जाल की जांच चलेगी. केंद्र सरकार के ये कदम, टालू लगते हैं. इसलिए बाबा रामदेव की हुंकार पर लोग जग रहे हैं. यह बात भी उठ रही है कि एक तरफ़ भारत का इतना धन बाहर है. दूसरी ओर केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सी.एस.ओ) के आंकड़े के अनुसार हर भारतीय पर 38,000 रुपये का कर्ज है? इस विसंगति का जवाब लोग मांगेंगे? एक नये राजनीतिक स्वर या चिंतन के तहत ही. बिहार की सुगबुहाट मंच बन सकती है.

याद करिए
, जब-जब भ्रष्टाचार का मामला उठा है, जनता एक हुई है.74 आंदोलन, 77 के चुनाव. 1998 में बोफ़ोर्स का प्रकरण. 2जी, कामनवेल्थ घोटाला, आदर्श सोसाइटी प्रकरण वगैरह से देश की राजनीति से बदबू आने लगी है.राडिया प्रकण के खुलासे से रही-सही बातें पूरी हो गयी हैं. इस टेप में कहीं चर्चा है कि एक राष्ट्रीय शासक दल को एक बड़ा घराना, घरेलू (घर की बात) कहता है.बिहार में भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए कानून बना है.

देश के इस परिवेश-माहौल में इस कानून का ईमानदार क्रियान्वयन एक नया माहौल बनायेगा. बिहार में ही नहीं
, देश में भ्रष्टाचार, छल, कपट और षड्यंत्र की राजनीति का बोलबाला है. दिल्ली पूरी तरह इसके गिरफ्त में है.शासन या सत्ता, चाहे जिसका हो. इस भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बिहार की यह पहल, दुनिया की निगाह खींचेगी. पिछले दिनों, बिहार चुनाव परिणाम के बिश्लेषण दुनिया के मशहूर अखबारों में छपे. विख्यात स्तंभकारों ने अंग्रेजी के हर बड़े अखबार में लिखा, बिहार पर.इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी हाल में लिखा.

द टेलिग्राफ़ में. हर बिहारी-झारखंडी को इन लेखों को पढ़ना चाहिए.भारतीय राजनीति में सुधार अब दिल्ली से संभव नहीं. अगर एक राज्य में सुधार हुए, तो उसके देशव्यापी असर होंगे. बिहार यह प्रयोगस्थली बन सकता है. रामचंद्र गुहा भी यह मानते हैं.

कहावत है
सीइंग इज बिलिविंग (देखना ही प्रमाण है). अर्थशास्त्र में एक लफ्ज है, डिमांस्ट्रेटिव इंपैक्ट (नमूने या प्रयोग का असर). फ़र्ज कीजिए कि बिहार के कानून के तहत भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त होती है, फ़ास्टट्रैक कोर्ट में ट्रायल होता है, यह सब पूरा देश देखेगा, तो क्या होगा? इसका प्रभाव व दबाव अनंत-असीमित होगा. समाजशास्त्र की नजर में समाज खेमे में बंटेगा,हैव व हैव नाट, फ़िर, भ्रष्ट, बेईमान बनाम ईमानदार के बीच.

साम्यवाद की भाषा में बुर्जुआ बनाम सर्वहारा के बीच. भारतीय राजनीति में जिस तरह गरीबी हटाओ
, मंडल, कमंडल ने ध्रुवीकरण पैदा किया था, उससे भी तीखा, प्रभावी और धारदार मुद्दा है, यह. बिहार के लिए ही नहीं. देश के लिए. शत्र्त यही है कि इसका ईमानदार क्रियान्वयन हो. भारतीय राजनीति में संभावनाओं के नये द्वार खोलनेवाला, यह कानून. हाल मेंद हिंदूके एक लेख में यह बात उभरी कि91 के उदारीकरण के बाद भारत में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ा है.

ज्वार-भाटा की तरह. बिहार की राजनीति अश्वमेध के घोड़े की भूमिका में सक्रिय भ्रष्टाचार की बाग थाम ले या इस कालिया नाग को नाथने की शुरूआत कर दे
, तो देखिए देश की राजनीति में क्या बदलाव होते हैं? फ़र्ज करिए कि यहां के विधायक, मंत्री, सांसद, अफ़सर हर वर्ष संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करते हैं, तो इसका क्या असर होगा? कानून तो अब भी है. आयकर का कानून है.

चुनाव आयोग का कानून. पर सही क्रियान्वयन कहां है
? सही अर्थ में बिहार से अगर नयी शुरूआत होती है, तो देश की राजनीति में इसका असर होगा. यह सूचना का युग है. ज्ञान का दौर है. यहां लोकसेवा कानून हो जाये, इन चीजों की सही और ईमानदार शुरूआत हो जाये, तो फ़िर दृश्य दिखेंगे.भारतीय मानस, ईमानदार राजनीति की प्रतीक्षा में है. बाहर और अंदर के खतरों से घिरा है, देश और रहनुमा हैं काजल की कोठरी में? यह स्थिति मुल्क की है. मुल्क नयी राजनीति, नये राजनीतिक मूल्यों और संस्कृति की तलाश में है.बिहार के प्रयोग संभावनाओं से भरे हैं.चाहिए सिर्फ़ सही क्रियान्वयन।

शर
हरिवंश

Saturday, October 2, 2010

दीजिए प्यार(जीवनसाथी) का साथ


सात फेरों के दौरान खाई गई सात कसमों में से एक है अपने जीवनसाथी का हर कदम, हर मोड़ पर साथ देना। जिंदगी की उलझनों के बीच अक्सर हम अपने इस फर्ज को भूल जाते हैं। हमें लगता है कि हम अपने दायरे में सबसे बेहतर फर्ज निभा रहे हैं। लेकिन सोचिए कि क्या यही सच है? क्या आप वाकई अपने जीवनसाथी के सुख-दुख में साथ दे पा रहे हैं? कहीं कोई कमी तो नहीं है? आज एक-दूसरे का साथ देने के एक ऐसे सिलसिले की पहली कड़ी बना दें, जिससे हर रोज रिश्तों में मिठास घुलती जाए। जानिए कैसे-
आज छुट्टी है...
छुट्टी के दिन सुबह का आगाज उस काम से करें, जो अमूमन आपका साथी करता है। अगर रोज वे चाय बनाते हों तो आज चाय खुद बनाएं। बच्चों को जगाने का काम अगर वह करते हैं, तो आज वह काम आप करें। यह सिलसिला चाय की प्याली, अखबार लाकर देने से शुरू होकर, बच्चों को तैयार करने से लेकर नाश्ता बनाने तक जारी रह सकता है। यानी आज के दिन अपनी-अपनी भूमिकाओं को बदलें। साथ में यह शुक्रिया अदा करना न भूलें कि आप आज जो कुछ हैं, वह अपने जीवनसाथी के संबल और सहयोग की वजह से ही हैं।
शेयर करें
जीवनसाथी की पसंदीदा किताब, वीडियो या सीरियल को आज मिलकर एंजॉय करें। उन्हें यदि डांस, संगीत, रंगमंच या कविताओं का शौक हो तो
ऐसे कार्यक्रम में एक साथ शिरकत करें, एक-दूसरे के विचारों को पूरा सम्मान दें।
जो उनको हो पसंद...
कई बातें या शौक ऐसे होते हैं, जो एक को तो बहुत पसंद होते हैं, जबकि दूसरे को नहीं। आज इस क्रम को उलटा कर दें। कोई न कोई एक काम ऐसा करें, जो उन्हें पसंद हो लेकिन आपको नहीं। यकीन मानिए, इससे जो सुखद अहसास की अनुभूति उन्हें होगी, उसकी मीठी याद जिंदगी भर रहेगी। यह जाहिर होगा आप अपने साथी की पसंद का ख्याल रखते हैं।
पूरा दिन जीवनसाथी के नाम
आज अपने जीवनसाथी को बता दें कि आज के दिन सिर्फ उसकी ही मर्जी चलेगी। एक-दूसरे की बातों व भावनाओं को सुनने, समझने में बीतेगा दिन। वीकेंड प्लानिंग, शॉपिंग या मूवी सारी योजना जीवनसाथी की होगी।
समझने की बारी आपकी
यह बात पतियों के समझने की है। अक्सर वे समझते हैं कि काम का दबाव या तनाव उन्हें ही होता है। यकीन मानिए घर संभालना भी आसान काम नहीं है। आज इस बात को समझने का प्रयास करें। पूरे दिन की कार्यप्रणाली समझने के बाद आप अपने प्रयास से कुछ दबाव दूर करने में सफल रहते हैं, तो मौजा ही मौजा।
सकारात्मक व्यवहार अपनाएं
आज सोचें कि आप अपने जीवनसाथी को ऐसी कौन सी चीज दे सकते हैं, जिससे इमोशन में सकारात्मकता आ जाए। इसके लिए खुद सकारात्मक होकर कुछ पाने के लिए नहीं, बल्कि देने के लिहाज से सोचना होगा। यह चीज कोई कीमती तोहफा या थैंक्स गिविंग कार्ड भी हो सकता है।

Friday, July 30, 2010

सड़क हादसों की वजह खूबसूरत लड़कियां

मुझे लगता है कि भगवान ने जितनी भी खूबसूरत चीज बनाई उसमें लड़कियां ही सबसे खतरनाक होती हैं। मैं अभी तक ऐसा सोचता था मगर कभी इस बात को किसी से इजहार नहीं किया, मगर आज की खबर ने मेरी सोच को बल दिया और मेरा सोचना यकीन में बदल गया। आपको अगर यकीन न हो तो पढ़ लीजिए आपको भी यकीन हो जाएगा कि हां, ऐसा ही है। एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि ब्रिटेन में गर्मियों में पुरुष अधिक कार दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं क्योंकि कार चलाते वक्त उनका ध्यान छोटे कपड़े पहने लड़कियों की ओर भटक जाता है। ब्रिटेन के समाचार पत्र 'डेली एक्सप्रेसÓ के मुताबिक 29 फीसदी पुरुषों ने स्वीकार किया है कि गर्मियों में गाड़ी चलाते वक्त वे मिनी स्कर्ट और छोटे टॉप पहनने वाली लड़कियों और महिलाओं को देखने के चक्कर में सड़क पर एकाग्रता नहीं बना पाते। कुल 1300 से अधिक चालकों पर किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि इनमें से 25 फीसदी पुरुष चालक पिछले पांच वर्षो में कम से कम एक बार दुर्घटना का शिकार जरूर हुए या फिर बाल-बाल बच गए, जबकि 17 फीसदी महिलाओं के नजर वाहन चलाते वक्त भटके। मनोवैज्ञानिक डोना डॉवसन ने इस बारे में कहा, 'सर्वेक्षण से पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा दुर्घटना के शिकार होते हैं।Ó इस सर्वेक्षण को कराने वाली कार बीमा कंपनी शेइलास के मुताबिक पिछले साल जून से अगस्त के बीच महिलाओं की तुलना में 16 फीसदी अधिक पुरुषों ने बीमा का दावा किया। इसके विपरीत केवल तीन फीसदी महिलाओं ने माना कि वे गर्मियों में पुरुषों के पहनावे से आकर्षित होती हैं और वाहन चलाते समय वे उन्हें देखती हैं।

Wednesday, July 28, 2010

हानिकारक बैक्टीरिया का घर है मोबाइल फोन


मोबाइल फोन एक ऐसा उपकरण बन गया है, जिसके बिना कहीं जाना जैसे सब कुछ घर पर छोड़ जाना। अगर गलती से हमारा मोबाइल घर में छूट जाता है तो सारा ध्यान उसी पर रहता है पता नहीं किसका फोन आया होगा, कहीं कोई जरूरी मैसेज आया होगा इत्यादि बहुत सी बाते दिमाग में घूमने लगती है और सारा ध्यान फोन पर ही टिका रह जाता है। अब अगर आपको पता लगे कि उस मोबाइल का घर में छूट जाना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा तो यकिन करना मुश्किल हो जाएगा न कि ऐसा कैसे हो सकता है, जिससे हम पूरे दुनिया से जुड़े होते हैं उसके घर में छूट जाने से भला हम कैसे फायदे में रह सकते हैं तो जनाब जान लीजिए कि मोबाइल फोन में शौचालय के फ्लश हैंडल से औसतन 18 गुना ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं। यह बात परीक्षणों से सामने आई है। जांच में पाया गया है कि फोन पर खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं। इनकी वजह से फोन धारकों को पेट में गंभीर बीमारी होने की आशंका अधिक रहती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन में इस्तेमाल किए जा रहे 6.3 करोड़ मोबाइल फोन में से 1.47 करोड़ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ हो सकती है। शोध करने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिम फ्रांसिज ने कहा कि मोबाइन फोन में हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इसलिए फोन को साफ रखने की जरूरत है। एक अन्य शोधकर्ता केरी स्टेनवे ने कहा कि मोबाइल फोन को बैक्टीरिया से दूर रखा जा सकता है। जब हम कोई गंदी वस्तु हाथ में लेते हैं उसी माध्यम से कीटाणु हाथ में आते हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को इससे बचने के लिए ऐहतियात बरतने और सफाई रखने की जरूरत है।

Wednesday, July 21, 2010

बीवी का एक्सीडेंट, और अच्छी ख़बर...


संता सिंह के फोन की घंटी बजी... उठाने पर आवाज़ आई, "मैं एबीसी हॉस्पिटल से डॉक्टर एक्सवाईज़ेड बोल रहा हूं... क्या आप संता सिंह जी बोल रहे हैं...?" संता के हामी भरने पर डॉक्टर बोला, "आपकी पत्नी के साथ एक बहुत भयंकर हादसा हो गया है... उन्हें एक ट्रक ने कुचल दिया था... और अब मेरे पास आपके लिए एक बुरी ख़बर है, और एक अच्छी... बुरी ख़बर यह है कि उसकी दोनों टांगें और दोनों हाथ काटने पड़े हैं, और अब उसे बाकी की सारी ज़िंदगी हर काम के लिए सहारे की ज़रूरत पड़ेगी..." संता ने लगभग चीखते हुए कहा, "क्या... हे भगवान, यह क्या हो गया... लेकिन अच्छी ख़बर क्या है, डॉक्टर साहब...?" डॉक्टर का जवाब आया, "मैं मज़ाक कर रहा था, वह मर चुकी है..."

Tuesday, July 13, 2010

हर पांचवां साथी बेवफा!


आज के दौर में हर पांच में से एक शख्स अपने साथी के प्रति ईमानदार नहीं होता है। एक ताजा अध्ययन की माने तो हर पांचवें व्यक्ति का दिल अपने साथी के लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए धड़कता है। यही नहीं, बेवफाई के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं। स्थानीय समाचार पत्र 'डेली मेलÓ के अनुसार इस अध्ययन में 3,000 लोगों की राय ली गई। इनमें से 50 फीसदी ने कहा कि वे अपनी साथी के प्रति ईमानदार हैं। आधे लोगों ने पूरी ईमानदारी से स्वीकार किया कि उनका झुकाव किसी और के लिए भी है। प्रत्येक छह में से एक की राय थी कि वह किसी और के साथ मेलजोल और संबंध बनाने की चाहत रखते हैं। अध्ययन में ज्यादातर लोगों ने यह माना कि किसी और के लिए पैदा हुए अहसासों पर काबू कर पाना संभव है। इस अध्ययन में शामिल एक शख्स ने बताया, 'अपने मौजूदा रिश्तों से खुश लोग भी न चाहते हुए किसी और का अहसास कर लेते है। इस तरह के अहसास तीन महीने से लेकर तीन साल तक जिंदा रहते हैं।Ó अध्ययन में कहा गया है, 'जो लोग अपने अहसासों पर काबू नहीं रख पाते वे अक्सर किसी और संबंध में पड़ जाते हैं, जिससे उनका विवाह या मौजूदा रिश्ता टूट जाता है।Ó इस अध्ययन के दौरान 25 लोगों में से एक ने माना कि उनका अपने साथी के अलावा किसी और से संबंध पांच वर्ष से भी अधिक समय तक चला। किसी और से संबंध स्थापित करने का चलन पुरुषों में ज्यादा है। 22 फीसदी पुरुषों ने माना कि उनका एक बार में दो से ज्यादा महिलाओं के साथ संबंध रहा है। महिलओं में यह प्रवृति कम देखी गई। 15 फीसदी महिलाओं ने माना कि उनका अपने साथी के अलावा किसी और भी संबंध रहा है। 29 फीसदी पुरुषों ने माना कि उन्होंने दूसरी महिला के लिए अपनी साथी को छोडऩे का विचार किया था। ऐसी राय रखने वाली महिलाओं की संख्या 19 फीसदी रही।

Thursday, July 8, 2010

कैसी लड़कियां अच्छी लगती हैं आपको?


हम लड़के अपने बारे में कुछ सोचे न सोचे मगर कौन लड़की कैसी है इस पर ध्यान जरूर देते हैं। दें भी क्यों न आखिर वो भी तो हमारी जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हमारे सोचने के नजरिए से लड़़कियां दो तरह की होती है, वो दो तरीके हैं 'अच्छी लड़की या बुरी लड़कीÓ। अब इन दोनों में अगर तुलना की जाए तो आप और हम दंग रह जाएंगे कि आज के अनुसार कौन सी लड़की अच्छी है और कौन बुरी.........अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर जो बुरी है वो बुरी है इसमें आज की क्या बात है, तो रुकिए जनाब और कुछ पढ़ कर ही फैसला कीजिए कि कौन सी लड़की बुरी है और कौन सी अच्छी। कहीं जिसे आप अच्छी समझते हैं वहीं लड़की आज के दौर में बुरी तो नहीं। ये फैसला अब आपके अपने सोच पर है। आप बताएं कि कौन सी लड़की आज के हिसाब से सही है? आपको इसके लिए बहुत से विचार मन में आ रहे हैं तो मैं आपको अच्छी और बुरी दोनों लड़कियों का कुछ ब्योरा दे रहा हूं फैसला कीजिए कौन अच्छी है।
अच्छी लड़की : अच्छी लड़की की कोई सही जानकारी तो मेरे पास नहीं है बस अपनी सोच के अनुसार आपको बता रहा हूं ये सोच आप से मिले ये जरूरी नहीं है मगर हम अधिकतर लोगों की सोच शायद इस से मिलती है। अच्छी लड़की शर्मीली होगी, कम बोलने वाली, विचारहीन, भद्र, संकोची और सहमी-सी दिखती है। उसमें आत्मविश्वास नाममात्र का नहीं होता। बोलते हुए तनिक अटकती है। सलीके से कपड़े पहनती है। छाती पर दुपट्टïा होगा। पलकें अधझुकी टाइप की। तेज आवाज में बोलना, ठहाके लगाना, उसको आता नहीं। उसके भीतर क्या है, यह तो खुदा भी नहीं जान सकता। परिवार के बड़ों की बात सौ प्रतिशत मानने वाली, इस लड़की को अपने मन की कहने की जरूरत भी नहीं महसूस होती। पढ़ाई की किताबों के अलावा, इसने कोई 'एडल्टÓ टाइप की मैग्जीन को हाथ भी नहीं लगाया होगा। इसकी कुछ हमउम्र की लड़कियों से बात भले ही हो जाती हो पर सहेलीबाजी के नाम पर यह समय नहीं बर्बाद करती। अपनी सभी बातें/जिज्ञासाएं अपनी मम्मीजी को ही बताती है। सिनेमा देखने जाती ही नहीं, जाएगी भी तो कोई पारिवारिक फिल्म, वह भी अपने परिवार के साथ। परिवार वालों के विरोध के बारे में तो वे सोच भी नहीं सकती। हम लड़के इन लड़कियों को अच्छी लड़की कहते नहीं अघाते। हमें ये इसलिए भी अच्छी लगती हैं क्यों कि ये कभी किसी चीज में विरोध नहीं करतीं। उनकों गलियों, सड़कों, बसों, कैंपस कहीं भी छेड़ा जा सकता है, फब्तियां कसी जा सकती है। इधर-उधर हाथ मारा जा सकता है। भय के मारे वे कुछ भी नहीं करेंगी। वे न तो पलट कर वार करेंगी और न ही कहीं कोई इसके खिलाफ शिकायत करेंगी। क्योंकि वो इसमें अपनी बदनामी समझती हैं। पिताजी/भाइया जहां चाहें उनको ब्याहने को स्वतंत्र होते हैं। बार-बार वे शादी वालों के सामने नुमाइश की तरह पेश किये जाने को कोई प्रतिरोध नहीं कर पाती। जिस किसी से ब्याह दी जाएं, उसी के साथ चली जाती हैं। उसका कभी विरोध नहीं करती, उसकी हां में हां मिलाते हुए, उसको अपना देवता मान लेती हैं। उसका उप-नाम तुरंत अपने साथ जोडऩे की उतावली में होती हैं। उसके खाने-पीने, उठने-बैठने को आइडियल मान लेती हैं। अपने मां-बाप को भुला कर उसके मां-बाप की सेवा में जुट जाती है। शादी के नवें महीने में ही उसकी गोद में अपनी सुहागरात की पहचान डाल देती है। वंश चलाने वाला जनने की जुगत में कई-कई गर्भपात खुशी-खुशी करवा लेती हैं। पति के आदेश पर बिना किसी चिंता के तुरंत बंध्याकरण करवा डालती हैं। करवाचौथों और सिंदूर-बिंदी से पति का मन मोहने वाली इन औरतों की हसरतें सपने पर परिवार में ही उलझते रहते हैं। इनके सपनों में भी मामी/चाची और दीदी ही आती हैं। पति की काली कमाई को उनकी कड़ी मेहनत का फल बताने वाली इन औरतों को वह सफलतम लगता है। उसकी कमियां इनकों खूबियां मान लेनी पड़ती हैं।
(हमारी नजर से ये वो लड़कियां हैं जो हमें बहुत अच्छी लगती हैं।)
बुरी लड़की : ये लड़कियां अपने मन की ज्यादा करती हैं। बिंदास होती हैं। मस्ती के साथ जीने की चाहत रखती हैं। अच्छी और सच्ची चीजों को भी सवालिया नजरों से देखती हैं। खुले आसमान में उडऩे को तैयार रहती हैं। मन की बातों को झट से जुबान पर ले आती हैं। परंपराओं को जूते की नोंक पर रखती हैं। नजरें झुका कर चलने का सवाल ही नहीं उठता, जरा उफ किया कि जमा कर देती हैं। गलत और पक्षपात बर्दाश्त करना इनके बूते की बात नहीं होती। ये पढऩे में ना भी अच्छी हो तो दोस्त ऐसे चुनती हैं, जो इनका होमवर्क पूरा कर डालते हैं और परीक्षा में नकल भी करवाते हैं। नया से नया फैशन इनको देख कर सीखा जा सकता है, छोटे कपड़ों में इनको कोई बुराई नहीं नजर आती। शरमाना-झिझकना इनके बस की बात नहीं होती। मम्मी की हिदायतों को घर से निकलते ही कचरे में फेंक देती हैं, कॉलेज बंक करके मस्ती करने, एडल्ट टाइप की फिल्में देखने में इनको आनंद आता है। स्कूली किताबों के अलावा ये सारी किताबें पढ़ लेती हैं। फैशन, मैग्जीनें घरवालों से छिपा कर रखती हैं। मोबाइल पर लड़कों का नाम सोना, मोना, गीता, रेवा के नाम से सेव करती हैं। स्कूल बैग में एकाध टी-शर्ट छिपा कर ले जाती हैं। मम्मी को बताये बिना ही हेयर-ट्रिम या फेशियल करवा डालती हैं। थोड़ी बड़ी हो जाएं तो हेयर कलरिंग भी करवा डालती है। रोटी/चावल की बजाए जंक खाती हैं। बाइक पर लांग ड्राइव में एक्स्ट्रा क्लास के बहाने निकलती हैं। करियर अपनी पसंद से चुनती हैं तो ब्वाय फ्रेंड में कोई कम्प्रोमाइज नहीं करना चाहती। आइटम-1, आइटम-2 के नाम पर दोस्तों को ट्राई करने में कोई संकोच नहीं करती। बेहतरीन कमाई ना कर सकने वाले को बीच में ही ड्राप कर सकती हैं, अपनी बेस्ट फ्रेंड के प्रेमी पर डोरे डाल सकती हैं। गर्भनिरोधक गोलियां खा कर अपने प्रेमी को मु_ïी में रखने का साहस रखती हैं। घर में झूठ बोलती हैं और मां को बरगला लेती हैं। पढ़ाकू लड़कों का मन पढ़ाई से उचटवा सकती हैं और ममाज ब्याय को अपनी दीवानगी में नशाखोर बना सकती हैं। खुद को घंटों आईने के सामने निहारने वाली ये लड़़कियां अपनी काया को लेकर काफी कांसस होती हैं। खाने या गिफ्ट लेने के लिए लड़कों को बेवकूफ बनाना इनके बायें हाथ का खेल होता है। ये जितनी शार्प होती हैं, उतनी ही मनमर्जी भी चलाती हैं। इनके जो दिल में होता है, वही जुबान पर लाती हैं। गलत का विरोध करती हैं और अपने अधिकारों को लेकर सचेत होती हैं। दिमाग के दरवाजे खुले रखती हैं लेकिन ढर्रे पर चलने में इनको दिक्कत हो सकती है। ज्यादातर मामलों में ये अपनी पसंद से शादी करती हैं। घरवालों के कहने पर की भी तो उसका बटुआ और घर की माली हालत जांचने-परखने में कोई कोताही नहीं करतीं। रि-थिंक करने में ना सकुचाने वाली ये लड़कियां ज्याद चू-चपड़ करने वाले पतिदेव को अदालत भी घसीट सकती हैं और मौका पडऩे पर इनकी मम्मी के खिलाफ भी बोलती हैं। ये मानसिक रूप से तैयार होने के बाद ही बच्चा पैदा करने को तैयार होती हैं। अपने काम और बैंक बैलेंस को लेकर सजग रहती हैं। पतिदेव के जिम्मे घर के कुछ काम रखने में इनको कोई संकोच नहीं होता। अपने सपनों पर परिवार वालों का अतिक्रमण इनकी बर्दाश्त से बाहर होता है। तमाम घरेलू जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद किटीज और शॉपिंग का जुनून नहीं त्याग सकतीं। बच्चों को डांस/स्वीमिंग/कराटे क्लासेज करवाने में तो उस्ताद होती हैं। उनके करियर और रियलिटी शोज में भागीदारी को लेकर चुस्त भी रहती हैं। आंसू टपकाती रहने के बजाए जिद करती हैं और अपना वजूद बचाए रखने की धुन में रहती हैं।
(हमारी नजर से ये वो लड़कियां हैं जो हमें बुरी अच्छी लगती हैं।)

Wednesday, July 7, 2010

पहली बारिश साथ लाई बाढ़

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल हुए जलमग्न
हरियाणा में राहत कार्यों के लिए बुलाई गई सेना

...दिया इतना कि सब त्राहि-त्राहि हो गए। भारत में गर्मी का कहर झेल रहे विभिन्न राज्यों के लोगों को मानसून का बड़ी बेसब्री से इंतजार था। मानसून देर ही सही आया तो, मगर पहली ही बारिश ने लोगों को त्राहि-त्राहि करने पर मजबूर कर दिया। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में खास तौर से मानसून ने कहर बरपाया। बदरा इतने बरसे की सब तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा। गांव तो गांव शहर में भी सारी सुविधाएं धरी की धरी रह गईं और सब अंधेरे में डूब गए। रोजमर्रा की चीजें भी आम आदमी के पहुंच से बाहर हो गई। मानसून ने गर्मी से राहत तो दिला दी मगर इस राहत से अच्छी तो वो गर्मी ही थी, जिसमें सारी सुविधाएं तो उपलब्ध थीं। हालांकि ये संकट भी कुछ दिन में टल जाएगा और फिर से बहार आ जाएगी मगर जब तक रहेगी लोगों में त्राहि-त्राहि तो मचेगी ही।पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण इन राज्यों के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। घग्गर और सतलुज नदी से जुड़ी नहरों में जल स्तर बढ़ गया है। क्षेत्र के कई जिलों में रेल और सड़क यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई है और राहत कार्यों के लिए सेना बुलाई गई है। हरियाण के अंबाला और कुरुक्षेत्र के रिहायशी इलाकों में तीन से चार फुट पानी भर गया है। सेना इन इलाकों में युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 क्षतिग्रस्त होने से प्रशासन ने लोगों को इस मार्ग पर यात्रा न करने की हिदायत दी है। राज्य सरकार ने अंबाला में हेल्पलाइन सेवा शुरू की है। हेल्पलाइन नंबर 0171-2530401 के अलावा अंबाला के उपायुक्त को उनके आवास पर 0171-2552200 और 2552201 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। पुलिस महानिदेशक राजीव दलाल ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के विभिन्न हिस्सों से जोडऩे वाले अंबाला-दिल्ली राजमार्ग संख्या-1 पर यात्रा न करने की सलाह दी है। यह राजमार्ग शाहाबाद के नजदीक टूट गया है। अंबाला में पिछले तीन दिनों में 550 मिलीमीटर बारिश हुई है, हालांकि अंबाला और कुरुक्षेत्र में बुधवार सुबह से बारिश नहीं हुई है। अंबाला के उपायुक्त एसपी श्राव ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है। रेलवे स्टेशनों पर फंसे लोगों का कहना है कि पिछले 24 घंटों से उन्हें स्थानीय प्रशासन या रेलवे प्रशासन की ओर किसी भी तरह की राहत उपलब्ध नहीं कराई गई है। अंबाला में शताब्दी एक्सप्रेस सहित करीब एक दर्जन रेलगाडिय़ां रद्द की जा चुकी हैं और बाकी रेलगाडिय़ां के परिचालन में 10 घंटे तक की देर हुई है। अंबाला छावनी, कुरुक्षेत्र और अन्य स्टेशनों पर हजारों यात्री रेलगाडिय़ां शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। अंबाला में सेना और वायुसेना के अड्डों के ज्यादातर इलाकों में भी एक से दो फुट पानी भरा है। कुरुक्षेत्र के शांति नगर इलाके में रहने वाले अवतार सिंह ने कहा कि हमारे बच्चों ने मंगलवार से कुछ नहीं खाया है। यहां खाना उपलब्ध नहीं है बिस्किट तक नहीं मिल रहे। अंबाला की निवासी सावित्री देवी ने कहा कि प्रशासन से कोई हमारी मदद के लिए नहीं आ रहा है। हमारे पास पीने तक के लिए पानी नहीं है, हमारे पूरे घर में पानी भर गया है। बाढ़ प्रभावित इन दोनों जिलों में सभी विद्यालयों को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि छात्रों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े इसीलिए यह फैसला लिया गया है। बाढ़ के पानी में कमी के बाद विद्यालय दोबारा खुलेंगे।उधर, पंजाब के पटियाला और लुधियाना के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। सड़कों पर पानी जमा हो जाने से वाहनों की आवाजाही बंद हो गई। बारिश से चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर उड़ानें प्रभावित हुई हैं। कई उड़ानों में विलंब की वजह से हवाई अड्डे पर यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा। हिमाचल प्रदेश में अधिकारियों ने बताया कि कुल्लू, मंडी, किन्नौर और शिमला जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। लगातार बारिश की वजह से इस पर्वतीय राज्य का पिछले तीन दिनों से हवाई संपर्क कटा हुआ है। निजी विमानन कंपनी 'किंगफिशरÓ के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली से शिमला, कुल्लू और धर्मशाला की उड़ाने रद्द हो गई हैं। कुल्लू के उपायुक्त बीएम नंता ने बताया कि राज्य में पिछले तीन दिनों से हो रही भारी बारिश की वजह से व्यास, पार्वती व तीर्थन सहित उनकी सहायक नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि व्यास नदी से लगे हुए गांव और शहर के लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया है। व्यास नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-22 पर पानी भर गया है। अधिकारी ने कहा कि हम जलस्तर पर निगरानी रख रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति में राजमार्ग को अस्थाई तौर पर बंद किया जा सकता है। मूसलाधार बारिश की वजह से शिमला में भारी भूस्खलन हुआ है, जिसके चलते यातायात बाधित हुआ है। किन्नौर जिले में विभिन्न जगहों पर हुए भूस्खलन और पेड़ों के उखडऩे की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-22 को बंद किया गया। किन्नौर के पुलिस अधीक्षक यशबीर सिंह पथानिया ने बताया कि किन्नौर की अधिकतर सड़कें यातायात के लिए बंद हैं। राजमार्ग वंगटू और मालिंग में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। (सहयोग एजेंसियां)

Monday, July 5, 2010

दिल्ली पहुंचा मानसून, मिली राहत



जहां भी गया यही सुना कितनी गर्मी है, जान निकल जाएगी। आदमी तो आदमी, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सब पर गर्मी अपना असर दिखा रही थी, सबकी एक ही तमन्ना, कब इस भयंकर गर्मी से राहत मिलेगी। आखिर गर्मी को कोसते-कोसते मानसून भी आ ही गया। देर ही सही मगर सबको ज्यादा नहीं तो थोड़ा राहत दिला ही दिया। शहर से लेकर गांव तक सब जगह गर्मी से राहत मिल गई। अब सब जगह हरियाली ज्यादा दिखेगी और हरियाली दिखेगी तो मन चंचल और प्रसन्न हो जाएगा और सबकी जिंदगी में बहार आ जाएगी। लंबे इंतजार के बाद छह दिन विलंब से ही सही, मानसून ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में दस्तक दे दी। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही दक्षिण पश्चिमी मानसून मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर की ओर बढ़ चला है। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून के देर से पहुंचने की संभावना है। पिछले 24 घंटों के दौरान हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी तट और लक्षद्वीप, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व सिक्किम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में अच्छी बारिश हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के निदेशक बीपी यादव ने बताया कि दिल्ली सोमवार को मानसून पहुंच गया। दिल्ली में हालांकि सामान्य तौर पर 29 जून को ही मानसून आ जाता है। इस मौसम में अच्छी बारिश होने की संभावना है। यादव ने बताया कि दिल्ली में न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री दर्ज किया गया जो औसत तापमान से तीन डिग्री नीचे था। अधिकतम तापमान 33 डिग्री के आस-पास रहा। दिल्ली में सोमवार को बादल छाए रहें तथा शहर के कुछ इलाकों में हल्की बारिश भी हुई। गर्मी से परेशान दिल्लीवासियों ने इससे राहत महसूस की। दिल्ली में सोमवार को 57.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब के विभिन्न भागों में सोमवार तड़के मानसून पूर्व की बारिश होने से लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली। अधिकारियों ने हालांकि कहा कि अगले दो तीन दिनों के भीतर मानसून के यहां तक पहुंचने की संभावना है। राज्य के मौसम विभाग के निदेशक सुरेंदर पाल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तर भारत में पहुंच रहा है और अगले दो तीन दिनों के भीतर इसके यहां तक पहुंचने की उम्मीद है। पाल ने बताया कि इस क्षेत्र में लगातार सामान्य से लेकर तेज बारिश हो रही है। बारिश की वजह से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। पंजाब और चंडीगढ़ के निचले इलाकों में पानी भर जाने के कारण यातायात जाम की समस्या पैदा हो गई। विभिन्न इलाकों में बिजली की आपूर्ति भी बाधित रही। पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में सोमवार को अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज कया गया। रविवार से ही यहां 117.8 मिलीमीटर बारिश हुई है। अमृतसर का अधिकतम तापमान 36.6 डिग्री, जबकि पटियाला और लुधियाना में 32.1 और 28.4 डिग्री दर्ज किया गया। हरियाणा के अंबाला में अधिकतम तापमान 34.9 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। उधर, राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद हुई मूसलाधार बारिश की वजह से पिछले 24 घंटे के दौरान विभिन्न हादसों में 16 लोगों की मौत हो गई। बारिश की वजह से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। राज्य में जयपुर, कोटा, उदयपुर सहित कई शहरों में लगातार बारिश होने के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया। जयपुर के एक रिहायशी इलाके में चार मंजिला निर्माणधीन इमारत ढह गई। रविवार को राज्य के अधिकांश हिस्सों में जमकर बारिश हुई। चित्तौडग़ढ़ के बेंगू कस्बे में महज चार घंटे में 3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, अलवर के कोटकासिम में 120, जयपुर के फुलेरा में 100 और नरेना, पावटा में 82 व 8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में उदयपुर और आसपास के इलाकों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। झालावाड़ में तेज हवाओं के साथ वर्षा के कारण कई जगह पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए। जानकारी के अनुसार राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान बारिश की वजह से 16 लोगों की मौत हो गई। सिरोही के सरूपगंज थाना क्षेत्र में ईसरा-नितोडा मार्ग पर रविवार शाम बरसाती नाले में यांत्रियों से भरी टैंपो पलट जाने से उसमें सवार चार बालिकाओं की डूबने से मौत हो गई। चारों के शव बरामद कर लिए गए हैं। इस बीच, कोटा में बिजली गिरने से दो जनों की मौत हो गई। अलवर जिले में दो, राजाखेड़ा तहसील में एक, निबाहेड़ा उपखंड के सागवाडिया में तीन व रोजडा गांव में बिजली गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई। जालोर में भी एक व्यक्ति की मौत हो गई। दूसरी ओर बिहार में पटना सहित राज्य के लगभग सभी इलाकों में बारिश न होने के कारण लोग उमस और चिलचिलाती धूप से परेशान हैं। आसमान पर हालांकि हल्के बादल छाए हुए हैं। मौसम विभाग के मुताबिक बारिश न होने के कारण तापमान में वृद्घि दर्ज की गई है। पटना में सोमवार सुबह का तापमान 27.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गया का 27.5, भागलपुर का 28 तथा पूर्णिया 27.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पिछले चौबीस घंटे के दौरान पटना का अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस, गया का 36.8, भागलपुर का 34.2 तथा पूर्णिया का 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी निदेशक एसआई लश्कर ने सोमवार को बताया कि मानसून का दबाव राज्य के उपर से हट गया है। अगले चौबीस घंटे तक बारिश होने की संभावना नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिनों के दौरान पश्चिमी गड़बड़ी पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी हिस्सों को प्रभावित करेगी। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटों के दौरान पश्चिमी तट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, उत्तर पश्चिमी राज्यों, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम, उड़ीसा, उत्तरी आंध्र प्रदेश, गुजरात, विदर्भ, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में व्यापक तौर पर अच्छी बारिश हो सकती है।

Saturday, July 3, 2010

दौलत से नहीं खरीदी जा सकती खुशी

ज्यादातर लोगों का मानना है कि अगर पैसा है तो सब कुछ कर सकते हैं, सब कुछ पा सकते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह बात सौ फीसदी सच नहीं है। पैसा सब कुछ दिला सकता है मगर यह आपकी खुशियां आपको नहीं दिला सकता। मन की शांति और जीवन का सुख पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि पैसे से हम सुरक्षा तो खरीद सकते हैं लेकिन खुशहाली नहीं खरीद सकते। खुशहाली के लिए दुनियाभर के 100,000 से ज्यादा लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि आमदनी और सुरक्षा की भावना में तो संबंध होता है लेकिन पैसे और खुशियों के बीच कोई संबंध नहीं है। यह पाया गया है कि निजी व राष्ट्रीय आय बढऩे के साथ जीवन में संतुष्टि बढ़ती है। अध्ययन के मुताबिक मौज-मस्ती और आनंद जैसी सकारात्मक भावनाएं अन्य कारकों से मजबूती से जुड़ी होती हैं। इन कारकों में सम्मान मिलने की भावना, स्वतंत्रता की भावना, मित्र होना और संतुष्टिदायक रोजगार शामिल हैं। वेबसाइट 'टेलीग्राफ डॉट को डॉट यूकेÓ के मुताबिक इलिनॉय विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक एड डाईनर कहते हैं, 'लोग हमेशा आश्चर्य करते हैं, क्या पैसा आपको खुशहाल बना सकता है?Ó उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में पता चलता है कि यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप खुशहाली को किस तरह परिभाषित करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आपको आमदनी और खुशहाली के बीच एक मजबूत संबंध देखने को मिल सकता है। डाईनर ने कहा कि दूसरी ओर यह बहुत अचंभित करने वाली बात हो सकती है कि सकारात्मक भावनाओं और खुशियों में कितना छोटा संबंध होता है। उन्होंने कहा कि धनवान होने के साथ आपके जीवन में संतुष्टि बढ़ती जाती है लेकिन इसका आपके जीवन के आनंद पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होता।

Monday, June 21, 2010

दिल्ल-गुडग़ांव के बीच मेट्रो सेवा शुरू



दिल्ली और गुडग़ांव के बीच 14.47 किलोमीटर लंबे कतुबमीनार-हुडा सिटी सेंटर मार्ग पर मेट्रो रेल का परिचालन सोमवार सुबह आरंभ हो गया। लोग लंबे समय से इस रूट के शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कुतुबमीनार से हुडा सिटी सेंटर जाने वाले इस रेलखंड पर मेट्रो की पहली ट्रेन का परिचालन आठ बजे शुरू किया गया। इसी तरह हुडा सिटी सेंटर से कुतुबमीनार के लिए भी सुबह आठ बजे पहली मेट्रो ट्रेन को रवाना किया गया। इस रेखखंड को अगले एक महीने में केंद्रीय सचिवालय और फिर उत्तरी दिल्ली में जहांगीरपुरी से जोड़ा जाएगा। मेट्रो सेवा के शुभारंभ के समय दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के कर्मचारियों और कुछ यात्रियों ने इस सेवा का लाभ उठाया। आम यात्रियों की भीड़ 11 बजे के आसपास जुटनी शुरू हुई। इस रेलखंड के 14.47 किलोमीटर लंबे मार्ग पर हालांकि अभी कुछ काम बाकी है और यही वजह है कि छतरपुर रेलवे स्टेशन पर फिलहाल ट्रेन नहीं रुकेगी। यहां अगस्त तक निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद ट्रेन रुकेगी। मेट्रो रेल निगम के प्रवक्ता ने कहा कि यहां निर्माण कार्य में देरी की वजह भूमि का विलंब से मिलना है। यहां अक्टूबर में भूमि मिल पाई थी। इस रेलखंड पर सुबह छह बजे से रात के 11 बजे तक 12 मिनट के अंतराल पर ट्रेन चलेगी। प्रवक्ता ने कहा कि शुरुआत में पांच ट्रेन सेवा में लगाई गई है और आगे इसे बढ़ाया जाएगा। इस रेलखंड को 11 जून को मेट्रो रेल के सुरक्षा आयुक्त ने ट्रेन परिचालन के लिए हरी झंडी दे दी थी। इस रेलखंड पर 10 स्टेशन हैं। इनमें हुडा सिटी सेंटर, इफको चौक, एमजी रोड, सिकंदरपुर, गुरु द्रोणाचार्य, अर्जनगढ़, घिटोरनी, सुल्तानपुर, छतरपुर और कुतुबमीनार। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को यात्रियों की भीड़ कम थी। सोमवार दोपहर तक इस रूट पर करीब 12 हजार यात्रियों ने यात्रा की और एक लाख रुपये से अधिक के टिकट बेचे गए।

Friday, June 11, 2010

लगाइए फुटबॉल के महाकुंभ में डुबकी







फीफा विश्व कप-2010 शुरू हो गया है। एक महीने तक चलने वाले फुटबॉल के इस महाकुंभ का आगाज शुक्रवार को जोहांसबर्ग के सॉकर सिटी स्टेडियम में विधिवत, रंगारंग और शानदार उद्घाटन समारोह के साथ हुआ। इस मंजर को स्टेडियम में मौजूद 94,000 लोगों के अलावा दुनिया भर में साढ़े तीन अरब से अधिक लोगों ने टेलीविजन के माध्यम से देखा। इस बार फीफा ने दृष्टिहीनों की 'आंखÓ बनने और बधिरों का 'कानÓ बनने की भी व्यवस्था की है। लिहाजा यह विश्व कप इस वर्ग के लोगों को भी जोडऩे में सफल रहा। उद्घाटन समारोह के दौरान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डेसमंड टुटु स्टेडियम में मौजूद थे। टुटु तो कार्यक्रम पेश कर रहे कलाकारों की धुन पर नाचते नजर आए।उद्घाटन समारोह से ठीक पहले सॉकर सिटी स्टेडियम के ऊपर लड़ाकू विमानों ने शानदार करतब दिखाए। सबसे पहले कलाकारों ने स्टेडियम के मध्य में नौ 'रेडियल लाइनÓ खींचे, जो नौ आयोजन स्थलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बाद स्टेडियम के अंदर स्टेडियम का विहंगम दृश्य पेश किया गया। उसके चारों और कलाकार नाचते नजर आए। इस नृत्य के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई कि विश्व कप सिर्फ खेल आयोजन नहीं बल्कि दोस्ती और भाईचारे का प्रचारक भी है। विश्व के सबसे लोकप्रिय खेल आयोजनों में एक माने जाने वाले विश्व कप में पांच महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करने वाले 32 देश शिरकत कर रहे हैं। विश्व कप के अंतर्गत कुल 64 मैच खेले जाने हैं और इनका आयोजन नौ शहरों के 10 आयोजन स्थलों पर होना है। मौजूदा चैम्पियन इटली जहां खिताब की रक्षा के लिए मैदान में उतरेगा वहीं उसके अलावा इस बार चैम्पियन ब्राजील, इंग्लैंड, अर्जेटीना, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

Thursday, June 3, 2010

आकर्षक दिखना पड़ा महंगा, गई नौकरी


कहते हैं अगर युवक/युवती सुंदर हो तो कामयाबी उनके कदम चुमती है। मगर आपको यह जानकार हैरानी होगी कि ज्यादा सुंदर दिखना ही जी का जंजाल बन गया। विश्व के सबसे बड़ी निजी बैंकों में शुमार सिटी बैंक की एक महिला कर्मी को सिर्फ इसलिए अपनी नौकरी गंवानी पड़ी क्योंकि सहकर्मियों के अनुसार वह 'बेहद आकर्षक और उत्तेजक दिखती है।Ó समाचार पत्र न्यूयार्क पोस्ट के मुताबिक बैंक ने डेब्राहिले लोरेन्जाना नाम की उस 30 वर्षीय महिला को सिर्फ इस वजह से नौकरी से निकाल दिया क्योंकि वह अपने सहकर्मियों का ध्यान भंग करती थी, जिसके कारण बैंक का दैनिक काम प्रभावित होता था। लोरेन्जाना ने सिटी बैंक के खिलाफ शारीरिक, मानसिक शोषण तथा लिंगभेद का मुकदमा दायर किया है। लोरेन्जाना का कहना है कि खुद को पेशेवर बताने वाले उनके सहकर्मियों की शिकायत पर बैंक के प्रबंधक और सहायक प्रबंधक ने उन्हें इस संबंध में पहले तो चेतावनी दी और फिर किसी दूसरे शहर में स्थानांतरित करने की धमकी दी। लोरेन्जाना ने इसकी परवाह नहीं की और किसी दूसरे शहर में जाने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद बैंक प्रबंधक ने लोरेन्जाना को नए ग्राहक बना पाने में असमर्थ बताकर किसी दूसरे ब्रांच में स्थानांतरित कर दिया। दूसरे ब्रांच में भी यही हाल रहा और फिर एक दिन बैंक ने उसे नौकरी से निकाल दिया। लोरेन्जाना कहती हैं कि उनके सहकर्मी उन्हें अत्यधिक ध्यान भंग करने वाली कहते थे और उनकी इसी मानसिकता के कारण उन्हें अपनी 70 हजार डॉलर प्रति वर्ष की नौकरी से हाथ धोना पड़ा। लोरेन्जाना का आरोप है कि उसके सहकर्मी अपने काम पर नहीं बल्कि इस बात पर ज्यादा ध्यान देते थे कि वह किस तरह के कपड़े पहनती हैं। लोरेन्जाना ने कहा कि मेरे सहकर्मी कहा करते थे कि मैं पेंसिल स्कर्ट और टर्टल नेक्स में ज्यादा आकर्षक दिखती हूं, लिहाजा मुझे बुर्का पहनना चाहिए। सिटी बैंक ने लोरेन्जाना के आरोप को बेबुनियाद करार दिया है। बैंक ने अपने बयान में कहा है कि हम इन आरोपों को बेबुनियाद मानते हैं। हमारा कार्यस्थल सभी को बराबरी और सम्मान का अधिकार देता है। हम अपने कार्यस्थल पर भेदभाव और शोषण की संस्कृति को कभी बढ़ावा नहीं देते।

Wednesday, June 2, 2010

अब गांव में ही लें रेल टिकट

गांव वालों को अब ट्रेनों में आरक्षण कराने व रेल टिकट के लिए ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। केन्द्र सरकार जल्द ही डाकघरों में टिकट बेचने के साथ- साथ रेलवे आरक्षण की सुविधा देने जा रही है। यह सुविधा शहरों, कस्बों के साथ गांवों के डाकघरों में भी उपलब्ध रहेगी। यह जानकारी केंद्रीय संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट ने एक समाचार पत्र को विशेष बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि इस बारे में रेल मंत्रालय से बातचीत की जा चुकी है। जल्द ही उन्हें डाकघरों की सूची दे दी जाएगी। सचिन ने कहा कि उनकी सरकार देशभर के पोस्ट ऑफिसों को प्रोजेक्ट रो के तहत आधुनिक सुविधाओं से लैस कर रही है। अब तक 500 जिलों के एक हजार पोस्ट ऑफिस आधुनिक किए जा चुके हैं। इस बार 500 और डाकघरों के लिए 250 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। इसके लिए देश भर में सबसे ज्यादा राजस्थान के पोस्ट ऑफिसों को चुना गया है। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर, बैंकिंग और इंटरनेट की सुविधा होने के बाद डाकघरों को रेलवे आरक्षण व टिकट बेचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। सब कुछ ऑनलाइन रहेगा। गांव वालों को आरक्षण व टिकट के लिए शहर की तरफ भागना पड़ता था। डाकघरों में आरक्षण की सुविधा होने के बाद उन्हें स्टेशन तक नहीं दौडऩा पड़ेगा। नजदीकी पोस्ट ऑफिस में पहुंचकर वे आसानी से आरक्षण करा सकेंगे। सचिन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में खोली गई ग्रामीण डाकघर जीवन बीमा योजना काफी कामयाब हो रही है। उनके संसदीय क्षेत्र अजमेर में एक लाख 20 हजार गरीब लोग अभी तक इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। इसमें दैनिक मजदूरी करने वाला कोई भी व्यक्ति महिने में 20 से 30 रुपए जमा कर योजना का लाभ उठा सकता है।

Tuesday, June 1, 2010

टेलीविजन विज्ञापन देते हैं जंक फूड को बढ़ावा


यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो टेलीविजन विज्ञापनों को देखकर अपना भोजन तय न करें। एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि विज्ञापन देखकर खाना चुनने से खुराक बहुत असंतुलित हो जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि विज्ञापित भोजन की एक 2,000 कैलोरी की खुराक में शर्करा आवश्यकता से 25 गुना अधिक, वसा आवश्यकता से 20 गुना अधिक होता है लेकिन सब्जियों, डेरी उत्पादों और फलों की मात्रा जरूरत से केवल आधी ही मिल पाती है। वास्तव में इस तरह के भोजन से शरीर में शर्करा और वसा की मात्रा औसत से कहीं अधिक पहुंच जाती है। असल में शर्करा की मात्रा प्रतिदिन की अनुशंसित मात्रा से तीन गुना और वसा की मात्रा ढाई गुना अधिक मिलती है। आर्मस्ट्रांग अटलांटिक स्टेट युनीवर्सिटी (एएएसयू) के शोधकर्ता माइकल मिंक कहते हैं कि अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि टेलीविजन पर विज्ञापित भोजन लेने से बीमारियों को बढ़ाने वाले पदार्थ (संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम) शरीर में अधिक मात्रा में पहुंच जाते हैं और बीमारी से बचाने वाले पोषक तत्वों (रेशा, विटामिन ए, ई और डी, कैल्शियम और पोटैशियम) की कमी हो जाती है। शोधकर्ताओं ने 2004 में 28 दिन तक टेलीविजन पर प्रसारित विज्ञापित भोजन का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक भोज्य पदार्थ में पोषक तत्वों की उपस्थिति का आकलन किया। इनमें से प्रत्येक भोजन में शर्करा, वसा, मांस की अत्यधिक मात्रा थी जबकि डेरी उत्पादों, फलों और सब्जियों की कमी थी। इसी तरह इनसे प्रोटीन, सेलीनियम, सोडियम, नियासिन, पूर्ण वसा, संतृप्त वसा, थियामिन और कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा मिल रही थी जबकि इनमें आयरन, फोसफोरस, विटामिन ए, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, विटामिन ई, मैग्नीशियम, कॉपर, पोटैशियम, पैंटोथीनिक एसिड, रेशे और विटामिन डी की कमी थी।

कभी अनुपस्थित नहीं हुआ


ब्रिटेन में एक किशोर ऐसा है जो बीते 12 वर्षों के दौरान एक भी दिन स्कूल में अनुपस्थित नहीं रहा। इस किशोर का नाम स्टीफन बूथ है। वह स्टोक-ऑन-ट्रेंट इलाके का रहने वाला है। उसने स्कूल में हाजिर होने का रिकार्ड कायम किया है। महत्वपूर्ण यह है कि वह छुट्टियों के दौरान ही हमेशा बीमार पड़ा। स्थानीय समाचार पत्र डेली मेल के अनुसार बूथ ने कहा कि मैं कभी बीमार नहीं पड़ा और कभी कमजोर महसूस नहीं किया कि मुझे छुट्टी की जरूरत पड़े। मुझे स्कूल जाना पसंद है और मैं अच्छा करना चाहता हूं। बूथ ने कहा कि कभी स्कूल में अनुपस्थित न रहने का मुझे गर्व है। मैं छुट्टियों के दौरान कई बार बीमार पड़ा हूं। यह मेरा सौभाग्य भी रहा है। उसकी मां कारेन कहती हैं कि स्टीफन में यह स्वाभाविक क्षमता है। उसे विज्ञान विषय बहुत पसंद है। वह सामान्य किशोर नहीं है। वह साढ़े छह बजे सोकर उठता है और स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाता है। वह स्कूल कभी भी देर से नहीं पहुंचा।

72 वर्षीय शख्स बनेगा 13वें बच्चे का बाप

ब्रिटेन में जुड़वा बच्चों के सबसे उम्रदराज पिता रिचर्ड रोडन एक बार फिर पिता बनने की तैयारी में हैं। 72 वर्षीय रोडेन की 26 वर्षीया पत्नी एक बार फिर गर्भवती हैं। रोडन इसे लेकर बेहद खुश हैं। रोडेन की इससे पहले भी दो शादियां हो चुकी हैं। दोनों पूर्व पत्नियों से रोडेन के 10 बच्चे हैं। तीसरे बच्चे के जन्म के बाद उनके बच्चों की कुल संख्या 13 हो जाएगी। रोडेन के सबसे बड़े बेटे की उम्र 52 वर्ष है। वेबसाइट सन के मुताबिक रोडेन की पत्नी लीजा को दो महीने का गर्भ है। यह उनका तीसरा बच्चा होगा। रोडेन ने कहा कि मैं बहत खुश हूं। मैं हमेशा कहता था कि हमारा एक और बच्चा पैदा होगा। रोडेन की पत्नी लीजा ने पिछले वर्ष जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। उनके ये जुड़वां बच्चे बिना किसी प्रजनन इलाज के पैदा हुए थे। अब वे 16 महीने के हो चुके हैं। लीजा ने कहा कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि ये सब इतना जल्दी हो गया। इस बच्चे के पैदा होने के बाद हमारे पास तीन साल से कम के तीन बच्चे होंगे। रोडेन और लीजा पश्चिमी मिडलैंड के वालसाल में रहते हैं। यहां के स्थानीय लोग रोडेन को इन बच्चों का दादा समझ लेते हैं। रिचर्ड ने कहा कि 72 साल की उम्र में बच्चा पैदा करना 20 वर्ष की तुलना में काफी थका देने वाला होता है, लेकिन मैं बहुत खुश हूं। विश्व में जुड़वां बच्चों के सबसे उम्रदराज पिता होने का श्रेय अमरीका के टॉम लैम्बार्ट के नाम है। लैम्बार्ट 1948 में 78 वर्ष की उम्र में जुड़वां बच्चों के पिता बने थे।

Friday, May 28, 2010

नक्सलियों के निशाने पर रेलवे




लोगों की आवाज को बुलंद करने का दावा करने वाले नक्सलियों ने अब आम लोगों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया है। नक्सलियों ने अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए 100 निर्दोष लोगों की जान ले ली। हालांकि अभी तक 74 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। नक्सलियों ने गुरुवार देर रात पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में झारग्राम स्टेशन के पास एक रेलवे ट्रैक को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। इससे हावड़ा से कुर्ला जा रही 2102 ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए और चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। नक्सली संगठन पुलिस संत्रास विरोधी जन समिति (पीसीपीए) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। रेलवे ने घटना के पीछ नक्सलियों का हाथ बताया है। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी हमले में माओवादियों का हाथ होने की बात कही है वहीं गृह मंत्रालय का कहना है कि इस मुद्दे पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। घटना के बाद पांच राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। इस हादसे को देखते हुए रेलवे नक्सल प्रभावित राज्यों में रात में ट्रेनों को नहीं चलाने पर विचार कर रहा है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) विवेक सहाय ने कहा कि उड़ीसा, बिहार, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में रात में ट्रेनों के नहीं चलाने के मुद्दे पर हम विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस बारे में जल्द कोई फैसला किया जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक 2102 हावड़ा- कुर्ला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस गुरुवार रात 10.55 बजे हावड़ा से रवाना हुई। ट्रेन ने गुरुवार देर रात करीब डेढ़ बजे जैसे ही खडग़पुर स्टेशन को पार किया, तभी रेलवे ट्रैक पर जोर का धमाका हुआ और ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। ट्रेन के चार डिब्बे डाउनलाइन पर एक मालगाड़ी से जा भिड़े। घटना में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की चार बोगी एस-3, एस-4, एस-5 और एस-6 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घटना के एक घंटे बाद राहत कार्य शुरू किया गया लेकिन तब तक कई लोगों की जानें जा चुकी थी। कई और लोग डिब्बों में फंसे हुए हैं इस वजह से मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो एस-6 डिब्बे से कुछ घायलों को गैस कटर की मदद से बाहर निकाला गया है लेकिन बाकी के तीन डिब्बों एस-3, एस-4 और एस-5 में किसी यात्री के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है। रेलवे ने इस घटना के पीछे नक्सलियों का हाथ बताया है। दक्षिण पूर्व रेलवे के जीएम एपी मिश्रा ने कहा कि रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के कारण ज्ञानेश्वर एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए। उधर, पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) सुरजीतकार पुरकायस्थ ने बताया कि पीसीपीए ने दुर्घटनास्थल के पास दो पोस्टर छोड़े हैं, जिनमें उसने हमले की जिम्मेदारी ली है। पोस्टर में कहा गया है कि पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों से संयुक्त सुरक्षा बल वापस बुलाए जाने की उनकी मांग नहीं मानी गई, जिसके कारण इस हमले को अंजाम दिया गया। यह पोस्टर दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के दौरान की जा रही जांच के दौरान रेल की पटरियों के पास मिला। इस बीच, घटना के बाद रेलवे की ओर से पांच राज्यों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल में अलर्ट जारी किया गया है। इस अलर्ट के तहत इन राज्यों से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड कम रखी जाएगी और इसके साथ ही सीआरपीएफ की गश्त भी बढ़ाई जाएगी। इस ट्रेन हादसे के एक घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सका। नजदीकी स्थलों से डॉक्टरों की टीमें घटनास्थल के लिए रवाना की गई। डिब्बों में फंसे लोगों को निकालने के लिए कटर मशीनें पहुंची। राहत एवं बचाव कार्य में वायु सेना की मदद ली गई। जिस जगह पर रेल पटरी उड़ाने के कारण यह हादसा हुआ, वह वायुसेना के कलईकुंडा एयरबेस से महज 30 किलोमीटर दूर है और वायुसेना ने वहां से अपने दो हेलीकॉप्टरों चेतक और मिग 17 को राहत कार्यों में लगाया, जबकि जोरहाट एयरबेस से डाक्टरों की एक टीम परिवहन विमान एएन 32 से यहां पहुंची।
नक्सलियों द्वारा रेलवे पर हुए अब तक के हमले22 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में माओवादियों की ओर से की गई फायरिंग में टाटानगर जा रही स्टील एक्सप्रेस में एक पुलिसकर्मी सहित दो की मौत। 20 मई 2010 - बिहार के दिघवारा और पीपरा स्टेशन के बीच नक्सलियों ने तेल टैंकरों से लदी मालगाड़ी को निशाना बनाते हुए रेलवे लाइन को उड़ाया। मालगाड़ी के 14 डिब्बे पटरी से उतरे। 19 मई 2010 - पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर में झारग्राम के पास नक्सलियों ने लैंडमाइन ब्लास्ट से रेलवे ट्रैक उड़ाया। मालगाड़ी के दो ड्राइवर घायल, इंजन पूरी तरह क्षतिग्रस्त। 27 अक्टूबर 2009 - नक्सलियों ने भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को 8 घंटे तक बंधक बनाया। नवंबर 2009 - झारखंड के सिमदेगा जिले में नक्सलियों ने रेलवे ट्रैक उड़ाया। पैसेंजर ट्रेन के दो यात्रियों की मौत, 38 घायल। मई 2008 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को पांच घंटे के लिए बंधक बनाया। 22 अप्रेल 2006 - नक्सलियों ने लातेहर में एक पैसेंजर ट्रेन को आठ घंटे के लिए कब्जे में लिया।